मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के 50 वे स्थापना दिवस समारोह का करेंगे निषेध
विधायक राजकुमार पटेल का पत्रवार्ता में ऐलान
* वन विभाग पर लगाया मेलघाट में मनमानी करने का आरोप
* कई आदिवासी गांवों में वन विभाग की ओर से सुविधाएं नहीं पहुंचने की बात कहीं
अमरावती/दि.17 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की स्थापना को 50 वर्ष पूर्ण हो चुके है. ऐसे में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्बारा इस उपलब्ध में समारोह व सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. परंतु इसी व्याघ्र प्रकल्प की वजह से आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के विभिन्न गांवों में रहने वाले आदिवासियों को विभिन्न तरह की तकलीफों व दुश्वारियों का सामना करना पड रहा है और इस क्षेत्र में वन विभाग द्बारा की जाने वाली मनमानियों की वजह से अनेकों विकास कार्य भी विगत लंबे समय से अधर में लटके है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के 50 वे स्थापना दिवस समारोह के आयोजन स्थल पर हम निषेध आंदोलन करेंगे. इस आशय की घोषणा मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल द्बारा की गई.
जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कम्पाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रवार्ता में विधायक राजकुमार पटेल ने उपरोक्त ऐलान करने के साथ ही कहा कि, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में विविध विकास कामों के लिए 5 हजार करोड से अधिक की विकास निधि व विकास कामों को मंजूरी प्राप्त हुई है. परंतु कई विकास कामों में वन विभाग द्बारा बेवजह ही अडंगा डाला जाता है. जिसकी वजह से सडकों के निर्माण व दुरुस्ती तथा विद्युत आपूर्ति व जलापूर्ति से संबंधित काम पूर्ण नहीं हो पाते. ऐसे में आज भी मेलघाट के अनेकों गांवों तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पायी है. परंतु वन विभाग का इससे कोई लेना देना नहीं है. विधायक राजकुमार पटेल के मुताबिक जहां पर पहले से सडक का खडीकरण अथवा डामरीकरण किया गया है, उस सडक पर दुबारा खडीकरण अथवा डांबरीकरण करने के लिए वनविभाग की किसी एनओसी की जरुरत नहीं है. यह बात सरकारी जीआर में साफ तौर पर कहीं गई है. परंतु इसके बावजूद भी वन विभाग के स्थानीय अधिकारी ‘अपनी ही हकालते’ हुए ‘मेरी मूर्गी की एक टांग’ लेकर काम नहीं करने देने हेतु अडे रहते है. जिसका खामियाजा मेलघाट क्षेत्र के आदिवासी बहुल गांवों में रहने वाले आदिवासियों को उठाना पडता है.
इस पत्रवार्ता में विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, इन दिनों शहरी क्षेत्र में पीने के पानी हेतु आरओ वॉटर का धडल्ले से प्रयोग होता है. लेकिन आदिवासी गांवों में पीने का पानी प्राप्त करने हेतु ढंग के कुएं भी नहीं है. ऐसे में आदिवासी गांवों के लोगों को नदी-नालों का गंधला पानी पीना पडता है. एक ओर तो हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और दुनिया की महाशक्ति बनने की तरफ बढ रहा है. वहीं दूसरी ओर हमारे आदिवासी गांवों में बिजली, पानी व सडक जैसी सुविधाएं भी नहीं है और इन सुविधाओं के रास्ते मेें वन विभाग द्बारा अडंगे डाले जा रहे है. जिसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
* व्याघ्र प्रकल्प का नहीं, वन विभाग का विरोध
इस पत्रवार्ता में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, यद्यपि मेलघाट में व्याघ्र प्रकल्प स्थापित करने में मेलघाट निवार्चन क्षेत्र के विधायक रह चुके उनके पिता दयाराम पटेल सहित विधायक के तौर पर खुद उनकी कोई भूमिका नहीं रही. बल्कि मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र के कुछ ‘चंगू-मंगू’ टाइप के लोगों ने मेलघाट के आदिवासियों के सिर पर यह मुसीबत लाकर रखी. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भी व्याघ्र प्रकल्प का विरोध नहीं किया और आज भी उनका विरोध व्याघ्र प्रकल्प को लेकर नहीं है, बल्कि व्याघ्र प्रकल्प के नाम पर वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्बारा जिस तरह से मनमानियां की जा रही है, उसका विरोध व निषेध करना बेहद जरुरी है. इस बात के मद्देनजर उन्होंने मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के 50 वे स्थापना दिवस समारोह का निषेध करने का निर्णय लिया है.
* मंत्री व वरिष्ठ अधिकारियों की भी नहीं सुनते यहां के अधिकारी
एक अन्य सवाल के जवाब में विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, उन्होंने वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाले इलाकों में विकास कार्य करने हेतु जारी सरकारी आदेश की ओर राज्य के मुख्यमंत्री, वन मंत्री, वन राज्यमंत्री तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान दिलाया है और सभी ने उनकी भूमिका का समर्थन किया है. ताकि वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों को इस संदर्भ में निर्देश भी दिए गए है. लेकिन इसके बावजूद भी वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्बारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. जिसका सीधा मतलब है कि, वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्बारा अपने सामने सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों को भी नहीं गिना जा रहा.
* सरकार में है, लेकिन अन्याय सहन नहीं करेंगे
इस समय पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, यद्यपि वे इससे पहले महाविकास आघाडी सरकार में शामिल रहे और इस समय शिंदे-फडणवीस सरकार में भी शामिल है. लेकिन सत्ता पक्ष के साथ रहने का यह मतलब नहीं कि, अगर कुछ गलत भी हो रहा है, तो उसे बर्दाश्त किया जाए. मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र का विकास करना और यहां के आदिवासियों को उनका हक दिलाना, उनकी पहला प्राथमिकता में शामिल है और इसके लिए वे किसी भी स्तर पर संघर्ष करने के लिए तैयार है.
* मंत्रिमंडल के विस्तार की हमे भी प्रतीक्षा
इस पत्रवार्ता में राज्य मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार को लेकर पूछे गए सवाल पर विधायक राजकुमार पटेल ने कहा कि, मंत्रिमंडल के विस्तार की उन्हें भी प्रतीक्षा है और इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर निश्चित तौर पर प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक व विधायक बच्चू कडू को मंत्रिमंडल मेें स्थान मिलेगा. क्या आप खुद भी मंत्री पद की रेस में है, यह सवाल पूछे जाने पर विधायक पटेल ने कहा कि, प्रहार से वे और बच्चू कडू ऐसे दो विधायक सदन में है और दोनो में से किसी को भी मंत्री पद मिलता है, तो हमे चलता है. हालांकि हम दोनों के बीच इसे लेकर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है.
* ‘खोके’ तो दूर, ‘पेटी’ भी नहीं मिली
शिंदे गुट द्बारा शिवसेना में की गई बगावत के समय शिंदे गुट के साथ गुवाहाटी जाने के बाद ‘50 खोके’ मिलने को लेकर विपक्ष द्बारा लगाए जा रहे आरोपो के संदर्भ में पूछे जाने पर विधायक राजकुमार पटेल ने ठेठ ‘मेलघाटी’ अंदाज में जवाब दिया कि, ‘कायके खोके बावा, हमको तो पेटी भी नहीं मिली.’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, महाविकास आघाडी की सत्ता रहते समय वाकई किसी के कोई काम नहीं हो रहे थे और पूरी विकास प्रक्रिया रुक गई थी. जिसे तंग आकर शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने सरकार से बाहर निकलने का फैसला किया था और हमने भी विकास के मुद्दे को लेकर शिंदे गुट का समर्थन किया था.