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एक वर्ष के ब्याज की बकाया की भी मिली गारंटी
अमरावती प्रतिनिधि/दि.३०– राज्य में वर्ष 2020-21 के गन्ना गलाई सीझन को देखते हुए 32 सहकारी शक्कर कारखानों को करीब 516 करोड 30 लाख रूपये का अल्पावधि कर्ज सरकार की ओर से उपलब्ध कराया गया है. साथ ही एक वर्ष के ब्याज के बकाये की गारंटी भी उठायी गयी है. जिसकी वजह से शक्कर कारखानों में गन्ना गलाई का सीझन शुरू करना आसान हो गया है. शक्कर आयुक्त ने जारी वर्ष के सीझन में होनेवाली संभावित गन्ना गलाई को ध्यान में रखते हुए राज्य के 32 सहकारी शक्कर कारखानों को बैंकों से अल्प अवधीवाला कर्ज देने हेतु तथा उसके ब्याज पर सरकार की ओर से गारंटी देने हेतु सहकार, पणन व वस्त्रोद्योग विभाग के मार्फत वित्त विभाग की ओर प्रस्ताव पेश किया था. इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तुत करने के साथ ही उस पर चर्चा की गई और इसे मान्यता भी दी गई. जिसके अनुसार शक्कर कारखानों को 516 करोड 30 लाख रूपये का कर्ज देने को मंजूरी प्रदान की गई है. इस बीच इस कर्ज के ब्याज की बकाया राशि पर गारंटी देने हुए दुबारा चर्चा की गई. जिसके बाद 516 करोड 30 लाख रूपये के कर्ज तथा उस पर एक वर्ष के ब्याज हेतु 30 सितंबर 2021 तक मुदत देने को मान्यता देने का निर्णय लिया गया. इस ब्याज का निर्धारण जिस बैंक द्वारा सहकारी शक्कर कारखानोें को कर्ज दिया जायेगा. उनकी प्रचलित ब्याजदरों के हिसाब से ही ब्याज का निर्धारण किया जायेगा. ऐसा स्पष्ट किया गया है.
बता दें कि, कोरोना की वजह से इस समय सभी क्षेत्रों में आर्थिक समीकरण बुरी तरह से गडबडाये हुए है. और इसका प्रभाव सहकारी शक्कर कारखानों पर भी पडा है. ऐसी स्थिति में गलाई सीझन का नियोजन करते समय कई सहकारी शक्कर कारखानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है और कर्मचारियों के वेतन, गन्ना गलाई के खर्च व किसानोें के भुगतान आदि के गणित को जोडना शक्कर कारखानों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार ने अल्प मुदत के कर्ज उपलब्ध कराने के साथ ही ब्याज के बकाये की गारंटी भी उठायी है. जिसकी वजह से शक्कर कारखानों को काफी हद तक राहत मिली है.
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विदर्भ के कारखानों को कब मिलेगी संजीवनी
शक्कर उत्पादन के क्षेत्र में महाराष्ट्र राज्य को अग्रणी माना जाता है. राज्य के पश्चिम महाराष्ट्र व मराठवाडा में सर्वाधिक शक्कर कारखाने है. किसी समय विदर्भ क्षेत्र में भी शक्कर कारखाने स्थापित हुए थे और अमरावती सहित यवतमाल व नागपुर जिले में शक्कर कारखानों द्वारा बडे पैमाने पर गन्ना गलाई की जाती थी. जिसकी वजह से गन्ना उत्पादक किसानों, गन्ना कटाई करनेवाले मजदूरों सहित कई लोगों को रोजगार मिला था. लेकिन पश्चात एक के बाद एक सभी सहकारी शक्कर कारखाने दिवालीयां हो गये और केवल यवतमाल जिले के उमरखेड तहसील अंतर्गत पोफाली स्थित वसंत नाईक सहकारी शक्कर कारखाना शुरू था, लेकिन राजनीतिक दांवपेच एवं भ्रष्टाचार की वजह से इस शक्कर कारखाने का काम भी रूक गया और इस समय इस कारखाने के व्यवहार की जांच चल रही है. इस समय केवल महागांव तहसील अंतर्गत गूंज में एकमात्र शक्कर कारखाना शुरू है. राज्य में भाजपा सरकार के कार्यकाल दौरान बंद पडे शक्कर कारखानों को नवसंजीवनी देने की हलचलें तेज हुई थी, लेकिन बाद में राज्य में सत्ता परिवर्तन होने की वजह से यह विषय काफी पीछे छूट गया. ऐसे में विदर्भ के शक्कर कारखानों को नवसंजीवनी कब मिलेगी, यह सवाल क्षेत्र के गन्ना उत्पादक किसानों व गन्ना कटाई मजदूरों द्वारा पूछा जा रहा है.