मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट में 52 बाघ, 22 बछडे, 147 तेंदूए
राज्य के पहले प्रकल्प में बाघों का प्रजनन बढाने के लिए अन्य वन्यजीव का संवर्धन
अमरावती/ दि. 8– पहाडी, बडी-बडी खाईयों के बीच बसे मेलघाटात टायगर प्रोजेक्ट की 50 वें वर्ष की ओर हलचल शुरु हो गई है. इस प्रोजेक्ट में 52 बाघ, 22 बछडे, और 147 तेंदूए होने का पिछले वर्ष वन्यजीव गणना के बाद दर्ज हुआ है.
जंगली भैसा, हिरण, जंगली सुअर का अधिवास बाघों के प्रजनन के लिए पोषक साबित होगा. विदर्भ में मेलघाट, पेंच, ताडोबा-अंधारी, नवेगांव-नागझिरा, बोर अभ्यारण्य और सह्याद्री यह पश्चिम महाराष्ट्र में है. देश के पहले 9 टायगर प्रोजेक्ट में से सबसे बडा और राज्य का पहला मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट में सफल गतिविधि के 49 वर्ष पूरे कर चुका है और 50 वें वर्ष में पर्दापण किया है. 22 फरवरी 1974 को यह अस्तित्व में आया. यह टायगर प्रोजेक्ट बाघों के प्रजनन व निवास के लिए अनुकूल साबित हुआ है. टायगर प्रोजेक्ट का एकछत्र नियंत्रण है. बाघों समेत अन्य वन्यजीव का सर्वोत्कृष्ट प्राकृतिक अधिवास साबित हुआ है. वाघ्र संवर्धन के इस प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 2 हजार 700 चौरस किलोमीटर है.
जंगली भैसे की संख्या बढाने पर संशोधन
मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट में बाघ और तेंदुए का प्रजनन बढाने के लिए उन्हें जरुरी खाद्य मिल रहा है. जिसमें जंगली भैसा सबसे आगे है. हिरण, सांबर, जंगली सुअर की संख्या भी काफी ज्यादा है. राज्य में मेलघाट टायगर प्रोजक्ट में जंगली भैसे की सबसे ज्यादा प्रजनन संख्या है. मेलघाट में जंगली भैसे की संख्या बढाने के लिए अमरावती के शासकीय विदर्भ ज्ञान-विज्ञान संस्था के प्राणी शास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. प्राचार्य बेग संशोधन कर रहे है.
कई दुर्लभ प्राणी है यहां
मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट में 52 बाघ, 22 बछडे और 147 से अधिक तेंदुए है. अन्य वन्य प्राणियों के संवर्धन के लिए पोषक वातावरण है. जंगल सफारी के माध्यम से पर्यटकों का भी आकर्षण बढ गया है. प्राकृतिक सौंदर्य से मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट लबालब भरा हुआ है. यहां वनोषोधि, विभिन्न प्रजाति के वृक्ष, रेंगकर चलने वाले प्राणी, दुर्लभ गुबड की दर्ज की गई है.
– मनोजकुमार खैरनार,
उपवन संरक्षक, मेलघाट, क्राईम सेल