अमरावती

एसटी के 54 कर्मचारी सेवा से बर्खास्त

32 वाहकों व 18 चालकों सहित 1-1 यांत्रिकी व प्रशासकीय कर्मचारी का समावेश

अमरावती/दि.30 – सरकार एवं रापनि प्रशासन द्वारा वेतन वृध्दि दिये जाने और बार-बार काम पर लौट आने का आवाहन किये जाने के बावजूद भी राज्य परिवहन निगम के अधिकांश कर्मचारी विगत दो माह से लगातार हडताल पर अडे हुए है. जिसके चलते अब हडताली कर्मचारियों की सेवा समाप्ती का कदम सरकार व रापनि प्रशासन द्वारा उठाया जा रहा है. इसके तहत मंगलवार को 21 तथा बुधवार को 33 ऐसे कुल 54 रापनि कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई. निष्कासित किये गये कर्मचारियों में 32 वाहकों व 18 चालकों सहित यांत्रिक व प्रशासकीय विभाग के 1-1 कर्मचारी का समावेश है. रापनि द्वारा अमरावती आगार के 12, वरूड के 12, दर्यापुर के 9, चांदूर रेल्वे के 8, बडनेरा के 7 तथा परतवाडा डिपो के 6 कर्मचारियों को अब तक सेवा से निष्कासित किया जा चुका है.
उल्लेखनीय है कि, विगत लंबे समय से चली आ रही हडताल के चलते परिवहन मंत्री अनिल परब ने विगत दिनों ही एसटी कर्मचारियों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी और कर्मचारियों से काम पर लौट आने का आवाहन किया था. ऐसे में मंगलवार से काम पर नहीं लौटनेवाले कर्मचारियों के खिलाफ सरकार द्वारा कार्रवाई करने की शुरूआत की गई. जिसके तहत विगत दो दिनों में 54 कर्मचारियों को निष्कासित कर दिया गया है. वहीं अन्य कई कर्मचारियों को भी सेवा समाप्ती के संदर्भ में नोटीस जारी की जा चुकी है. वहीें दूसरी ओर विगत दो माह से हडताल कर रहे कर्मचारियों द्वारा इस कार्रवाई को अपने उपर अन्याय बताया गया है. जिसके तहत कर्मचारियों का कहना रहा कि, चूंकि मामला अभी अदालत के सामने विचाराधीन है. अत: राज्य सरकार को फिलहाल हडताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है.

  • रापनि प्रशासन द्वारा आंदोलनकारी कर्मचारियों को इससे पहले अनेकोें बार काम पर वापिस लौट आने का आवाहन किया गया. साथ ही भारी-भरकम वेतनवृध्दि भी दी गई. किंतु इसके बावजूद भी रापनि के अधिकांश कर्मचारी हडताल पर ही अडे हुए है और काम पर लौटने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में अब रापनि प्रशासन द्वारा दंडात्मक व अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है.
    – श्रीकांत गभणे
    विभाग नियंत्रक, अमरावती.
  • एसटी की हडताल को लेकर आगामी 5 जनवरी को अदालत का निर्णय आना अपेक्षित है. साथ ही खुद न्यायालय ने भी आंदोलन करने की बजाय अपना दुखडा व्यक्त करने को मान्यता दी है. लेकिन इसके बावजूद भी अब सेवा समाप्ती की कार्रवाई की जा रही है, जो पूरी तरह से अयोग्य है.
    – संजय मालवीय
    एसटी कर्मचारी

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