दर्यापुर में काकडा आरती की 57 वर्षों की परंपरा आज भी बरकरार
विभिन्न धार्मिक स्थलों पर जाकर किया जाता है पूजन
दर्यापुर/दि.4– दर्यापुर नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत आने वाले बनोसा के गांधीनगर में हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक मास निमित्त सुबह 5 काकडा आरती द्वारा बनोसा परिसर के विविध धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजन किया जाता है. काकडा आरती की 57 वर्षों की परंपरा आज भी बरकरार है.
इस वर्ष भी काकडा आरती की शुरुआत अकोट रोड स्थित हनुमान मंदिर से हुई. इसके बाद गजानन महाराज मंदिर-आठवडी बाजार, शनि महाराज मंदिर-बाजार, राममंदिर पाटीलपुरा, बालाजी मंदिर पाटीलपुरा, मेळेश्वर महादेव मंदिर, मंगल -बाबा मंदिर गांधीनगर मार्ग से भ्रमण करने के बाद भक्तगण हनुमान मंदिर पहुंचते है. ताल-मृदंग भजन द्वारा प्रभातफेरी परिक्रमा की जाती है. काकडा आरती की शुुरुआत 1965 में दर्यापुर नगरपरिषद के सेवानिवृत्त शिक्षक स्व.श्रीकृष्ण होले गुरुजी ने की थी. उनके निधन के बाद भी आज इस धार्मिक कार्यक्रम की परंपरा का निर्वहन तीसरी पीढी कर रही है.
प्रात: समय विविध भजनों की सुमधुर आवाज से सभी नागरिक जागते है. काकडा आरती उपक्रम चलाने के लिए हभप धनेश महाराज ढोके, एड. दिलीप अग्रवाल, हेमंत होले, प्रल्हादराव पारडे, नंदकिशोर विल्हेकर, रघुनाथराव विल्हेकर, विनोद थेरे, शंकरराव कोल्हे, बालाभाऊ कोल्हे, नामदेवराव ढगे, गजू उगले, एकनाथ विल्हेकर, राजेंद्र राऊत, रामेश्वर मेहेरे, रवींद्र सांगोले, रवि चंदनपत्री, विठोबा पांडे, मनोहर इंगले, उमेश राठी, गजू पंपालिया, राजू सोलंके, संग्राम नागे, नंदन शिंदे, विष्णू राऊत, ईश्वर पारडे, दीपक पारडे, आयुष पारडे, अनिरुद्ध होले, किसनराव सुरजसे, सुदाम पारडे, संतोष माहुलकर, सुरेंद्र विल्हेकर, संजय शहाले, दीपक देशमुख, खेडकर मिस्त्री, पीयूष अग्रवाल आदि प्रयास कर रहे है. काकडा आरती का समापन 27 नवंबर पौर्णिमा को महाप्रसाद से होगा.