अमरावती

शहर में कक्षा 11 वीं की 5745 सिटें रिक्त

लातूर, नगर, अकोला, पैटर्न सहित अनावश्यक नई कक्षाओं का परिणाम

* कुल सिटों में से 35 फीसद सिटों के लिए विद्यार्थी ही नहीं मिले
अमरावती/दि.26– किसी समय अमरावती शहर के महाविद्यालयों में कक्षा 11 वीं के प्रवेश हेतु विद्यार्थियों सहित उनके अभिभावकों की लंबी-लंबी कतारे लगा करती थी. परंतु धीरे-धीरे यह दौर खत्म होता चला गया और इस वर्ष तो अमरावती में कक्षा 11 वीं की 5 हजार 745 सिटे रिक्त पडी रहेगी, जो कुल प्रवेश क्षमता की तुलना में 35 फीसद सिटों के लिए विद्यार्थी ही नहीं मिले. इस तरह की स्थिति अमरावती में पहली बार देखी गई है.

बता दें कि, कक्षा 11 वीं की प्रवेश प्रक्रिया अब लगभग खत्म हो गई है. केंद्रीय प्रवेश पद्धति की 7 फेरिया और सीधे प्रवेश की 10 फेरियों का दौर काफी लंबा चलता रहा. लेकिन इसके बावजूद भी कक्षा 11 वीं के वर्ग चलाने वाले महाविद्यालयों को महत्तम प्रवेश क्षमता के बराबर विद्यार्थी नहीं मिल सके. शहर के शिक्षा विशेषज्ञों तथा संस्था चालकों के मुताबिक लातूर, अहमदनगर व अकोला में चलने वाले ट्यूशन क्लासेस का यह दुष्परिणाम है. साथ ही कुछ लोगों के हिसाब से जरुरत नहीं रहने के बावजूद सरकार कुछ संस्थाओं को प्रतिवर्ष अतिरिक्त कक्षाओं की मान्यता होती है. जिसके चलते पहले से अस्तित्व में रहने वाले महाविद्यालयों को विद्यार्थी मिलना मुश्किल हो गया है.

* हर तरह का प्रयोग साबित हुआ व्यर्थ
कक्षा 11 वीं की प्रवेश प्रक्रिया केंद्रीय पद्धति से अमल में लायी जाती है. जिसे शिक्षा उपसंचालक कार्यालय के मार्फत चलाया जाता है. इस हेतु स्थानीय स्तर पर एक समन्वय समिति तैयार की जाती है. इस समन्वय समिति ने इस वर्ष की अलग-अलग प्रयोग करके देखे. साथ ही बोर्ड परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद तुरंत ली जाने वाली कक्षा 10 वीं की पूरक परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने तक कक्षा 11 वीं की प्रवेश परीक्षा शुरु रहे. इसका ध्यान रखा गया है. इसके साथ ही आईटीआई व तंत्र निकेतन की प्रवेश प्रक्रिया खत्म होने तक इंतजार करने का भी प्रयोग किया गया. लेकिन इसका भी कोई खास फायदा नहीं हुआ.

* मुलत: कक्षा 10 वीं तक पहुंचने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी काफी हद तक कम हो गई है. जिसके चलते दिनोंदिन कक्षा 11 वीं के लिए विद्यार्थी मिलना कठीन हो गया है. इसके अलावा कई परिवारों में अब यह आम धारना भी बन रही है कि, पढने-लिखने का कोई फायदा नहीं है. क्योंकि पढ-लिखकर कोई नौकरी नहीं मिलती. ऐसे में ज्यादा पढने-लिखने की बजाय न्यूनतम शिक्षा पूरी करते हुए रोजगार शुरु करने अथवा बाह्य शिक्षा लेते हुए अपना व्यवसाय चलाने का विचार भी दिनोंदिन प्रबल होता जा रहा है. इसके अलावा शिक्षा का दिनोंदिन महंगा होते चले जाना भी एक सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. जिसकी वजह से कक्षा 11 वीं के लिए पर्याप्त विद्यार्थी नहीं मिलने की समस्या पैदा हो रही है.
– प्रा. डॉ. महेंद्र मेठे,
अध्यक्ष नूटा अमरावती.

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