अमरावती

जिले के ५४ हजार दिव्यांगों को झेलनी पड़ रही कोरोना की मार

७० फीसदी दिव्यांगों का रोजगार छिना

  • दो माह से संजय गांधी निराधार योजना का भी लाभ नहीं मिला

अमरावती/दि.२८ कोरोना महामारी ऐसे दिन दिखा रहा है. जिसकी कल्पनाएं लोगों ने सपनों में भी नहीं की थीं. इस महामारी ने जहां आम नागरिकों को घरों में कैद कर दिया है. वहीं दूसरी ओर दिव्यांगों के भी हाल बेहाल करने की कोई कसर नहीं छोड़ी है. जब से कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन लगा है, तब से जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों के मिलाकर ५४ हजार दिव्यांगां को कोरोना की मार झेलनी पड़ रही है. इनमें से ७० फीसदी दिव्यांगों का रोजगार भी छिन गया है. अब दिव्यांगों के हाल बेहाल हो रहे है और दिव्यांगों की मदद उनके परिचित लोग ही कर रहे है. लेकिन सरकार की ओर से कोरोना महामारी के दौर में दिव्यांगों की परेशानियों को दूर करने के लिए कोई भी उचित कदम नहीं उठाए जा रहे है.
यहां बता दें कि अमरावती जिले में तकरीबन ५४ हजार दिव्यांगों का समावेश है. इनमें ग्रामीण व शहरी इलाकों में रहनेवाले दिव्यांगों का समावेश है. लेकिन इन ५४ हजार दिव्यांगोंं को कोरोना महामारी के दौर में अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में ७० फीसदी ऐसे विकलांग है, जो विविध दुकानों सहित जेराक्स दुकान में छोटा मोठा काम कर अपना गुजर बसर कर रहे थे. लेकिन इस महामारी में सभी दुकान बंद रहने से इन दिव्यांगों पर भूखमरी की नौबत आन पड़ी है. ३० फीसदी दिव्यांग ही ऐसे है जिनका कामकाज चल रहा है. ७० फीसदी दिव्यांगां के हाल इतने बदतर हो रहे है कि उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए सरकार कोई कदम ही नहीं उठा रही है. वर्तमान में ७० फीसदी दिव्यांगों के हाथ में काम नहीं होने से उनके परिचितों की मदद से वे अपना गुजर बसर कर रहे है. वहीं बीते दो महीनों से दिव्यांगों को संजय गांधी निराधार योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते दिव्यांगों की परेशानियां काफी ज्यादा प्रमाण में बढ़ गई है. यहीं नहीं तो दिव्यांगों को राहत दिलानेवाला वर्ष २०१६ विकलांग अधिनियम भी अब तक अमंल में नहीं लाया गया है. दिव्यांगों का नौकरी का अनुशेष भी सरकार के पास प्रलंबित है. यह परेशानियां तो दिव्यांगों को पहले से झेलनी पड़ रही है और अब लॉकडाउन से भी उनकी दिक्कतों पर नमक छिड़कने का काम किया है. महामारी से निपटने के लिए घोषित लॉकडाउन में सरकार की ओर से पार्सल सेवा उपलब्ध करायी गयी है. लेकिन जिले में कुछ ऐसे दिव्यांग है, जिनके पास आधुनिक सुविधाओं का अभाव है.

  • लॉकडाउन हटने के बाद दिव्यांगों के मुद्दों को लेकर होगी बैठक

महाराष्ट्र प्रदेश दिव्यांग कांग्रेस के अध्यक्ष किशोर बोरकर ने बताया कि बीते २३ मार्च को मुख्य सचिव सीताराम कुंटे के साथ मंत्रालय में बैठक बुलवायी गयी थीं. लेकिन ऐन समय पर कोरोना संक्रमण तेजी से बढऩे और लॉकडाउन घोषित कर दिए जाने से बैठक को टाल दिया गया था. इस बैठक में दिव्यांगों के नौकरी का अनुशेष भरकर निकालने,२०१६ का विकलांग अधिनियम पारित करने व संजय गांधी निराधार योजना का लाभ विकलांगों को नियमित रूप से मिलने का मुद्दा उठाया जानेवाला था. लेकिन बैठक आगे के लिए टाल दी गई. वहीं अब यह बैठक लॉकडाउन समाप्ती के बाद ली जाएगी. जिसके बाद इन मुद्दों को उठाया जाएगा. बोरकर ने कहा कि दिव्यांगों को मदद करने की भावनाएं अब लोगों में दिखाई दे रही है. लेकिन सरकार की ओर से दिव्यांगों को जो अपनेपण की भावनाएं दिखनी चाहिए वह दिख नहीं रही है. जिसके चलते दिव्यांगों के हाल बेहाल हो रहे है.

 

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