अमरावतीमहाराष्ट्र

अमरावती के 6 युवकों ने सबसे पहले किया अमृत स्नान

अमन गोयनका और साथियों का महाकुंभ प्रयागराज का अनुभव शानदार

* इतनी लाइटींग कि रात भी लगे दिन समान
* ठंड के बावजूद बडे-बुजुर्गों ने पग-पग पर दी प्रेरणा
* सुरक्षा बंदोबस्त के सभी अधिकारी व कर्मी सैल्यूट के हकदार
अमरावती /दि.16– अमरावती कालाराम मंदिर परिसर के 6 युवकों ने संभाग से सर्वप्रथम महाकुंभ प्रयागराज के मकर संक्रांति के अमृत स्नान का गौरव पाया. उनमें अमन गोयनका रौनक जाजू, आकाश पांडे, आकाश गुप्ता, अनुज गोयनका और अंकुश का समावेश है. अमन गोयनका ने अमरावती मंडल के साथ अपना कुंभ स्नान संस्मरण शेयर किया. उन्होंने बताया कि, सभी प्रकार की व्यवस्था न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि इतना बढिया प्रबंध देखकर खुद के सनातनी और भारतीय होने का अभिमान हो जाता है. कुंभ में संगम स्थल पर दूर-दूर तक जहां तक नजर जाती, वहां तक लहराते केसरिया परचम और सभी प्रकार के महान विभूतियों, साधू-संतों के दर्शन से जीवन धन्य होने समान अनुभूति होती है. क्षण-क्षण में लोगों की श्रद्धा, आस्था को देखकर भी शीश स्वंय झुक जाता है. अपने बंधु अनुज और चारों साथियों के संग संगम में डुबकी लगाने का यह अवसर व अनुभव अब उम्रभर नहीं भूलेगा.
* रात्रि 1 बजे निकल पडे संगम तट की ओर
अमन गोयनका ने बताया कि, संपूर्ण संगम तट लाखों श्रद्धालुओं से ओतप्रोत है. वहां की प्रत्येक व्यवस्था अनुभव करने लायक है. ऐसे में संक्रांति के अमृत स्नान पर जहां करोडों लोग एकत्र हुए थे. यह अनुभूति अपने आप मेें वन्स इन ए लाइफ टाइम कही जा सकती है. हम सभी मित्र देर रात 1 बजे संगम तट की ओर निकल पडे. हमारे संग बेशक लाखों श्रद्धालु भी बडी आस्था से तट की ओर चल रहे थे. ठंड के बावजूद सभी एक-दूसरे का उत्साह अपने-अपने इष्ट का जयकारा करते एवं हर-हर गंगे का उद्घोष करते कर रहे थे. सचमुच बिरले क्षण थे वे.
* सुरक्षा बलों को सलाम
वाहनों को संगम तट से 5 किमी दूर रोका गया. अर्थात जवानों के लिए यहीं व्यवस्था रही. बुजुर्ग और बीमार जनों के लिए थोडे आगे तक इलेक्ट्रीक कार्ट उपलब्ध की गई है. प्रयागराज प्रशासन विशेषकर महाकुंभ का प्रबंधन करने वाले अधिकारी धन्यवाद, साधूवाद के पात्र हैं. इनसे भी बढकर सुरक्षा बलों के जवानों की जिम्मेदारी लग रही है. कोहरे से भरी सुबह-शाम वे लोग अपनी ड्यूटी पूरी सजगता से कर रहे हैं. कही कोई अव्यवस्था न होने पाये, इसका हमारे सुरक्षा जवान पूरा ध्यान रख रहे हैें. उनकी जिम्मेदारी को देखकर ऐहसास होता है कि, हम सामान्य नागरिक कितनी सुख-सुविधा से रहते हैं. इन जवानों में बीएसएफ, सीआरपीएफ, पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बलों के जवानों का समावेश है. महिला व युवतियां भी अपनी वर्दी के साथ पूरी शान से महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था विशेषकर वृद्धजनों को सहायता में अग्रणी है. यह देखकर सचमुच बडा अच्छा लगा. अभिमान भी हुआ.
* अमृत की वर्षा
अमृत स्नान करते समय कुछ देर के लिए 5-6 डिग्री तापमान का डर लग रहा था. किंतु अपने साथ और दूर-दूर तक जहां तक निगाह जाती, लोगों, बाल गोपाल, वृद्धजनों, माताओं, बहनों को संगम में डुबकी लगाते देख यह डर क्षणों में ही दूर हो गया और जमकर हम सभी 6 मित्रों ने एक-दूसरे का हाथ पकडकर गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम में स्नान किया. हर-हर गंगे का जयघोष चल रहा था. प्रत्येक भाविक इस जयघोष को प्रतिसाद दे रहा था. सबकुछ अद्भूत लग रहा था. अपने आप को हम सभी मित्र भाग्यवान मानते हैं. अमृत स्नान में अमरावती के पहले होने का हमें बडा ही गौरव महसूस हो रहा था. बेशक अमरावती से माउली सरकार और सैकडों भाविक पहुंचे. किंतु हमें लगता है कि, सर्वप्रथम स्नान का अनूठा अवसर प्राप्त हुआ है. लग रहा था कि, भगवान संगम के जल में अमृत की वर्षा कर रहे हैं.
* टैंट, झुग्गियां, पंडाल सभी दर्शनीय
संगम तट और संपूर्ण कुंभनगरी में हजारों झुग्गियां बनी है. पंडाल और टैंट आच्छादित है. उसी प्रकार असंख्य साधू-संतों ने अपनी कुटिया के पास यज्ञवेदी का भी प्रबंध किया है. वहां की सजावट देखते ही बनती है. मुझे लगता है कि, यह सब व्यवस्था व तैयारी देखकर किसी भगवान को न मानने वाले नास्तिक को भी यज्ञ में आहूति देने की प्रबल इच्छा हो जाएगी. इतना मनोरम वहां के दृष्य और आस्था का मानो सरोवर आ गया है, लग रहा था. श्रद्धा और आस्था का यह महाकुंभ अनेक मायनों में महा अर्थात अत्यंत विशाल विराट है. जहां अमृत स्नान कर लौटने के पश्चात स्वयं में अद्भूत उर्जा का अनुभव हम सभी मित्र कर रहे हैं.

 

 

 

Back to top button