अंजनगांव बारी/दि.19 भानामती नदी के किनारे बसे मालखेड गांव में प्राकृतिक वातावरण में बसा अंबामाता का और शंकर का मंदिर यहां पर भक्तों की हमेशा ही भीड देखने मिलती है. अंबामाता मालखेडवासियों की ग्राम देवता के रूप में पहचानी जाती है. यह भक्तों के श्रध्दा का स्थान है. यहां पर नवरात्रि के 9 दिन बडे उत्साह से मनाए जाते है. 1997 से यहां पर अखंड ज्योत स्थापना की शुरूआत हुई. तब से यह परंपरा हर साल निरंतर जारी है. इस साल 617 घट की स्थापना की गई. हर साल इन घटों की संख्या बढती जाती है.
रोज सुबह और शाम को होनेवाली महा आरती में सैकडों भक्त उपस्थित रहते है. गांव के लोग आरती की तैयारी करते है. हर साल इस समय भव्य महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है. जिसका लाभ आसपास के गांव सभी नागरिक लेते है. इस साल भी भव्य महाप्रसाद का आयोजन 26 अक्तूबर को किया गया है. इसका लाभ लेने का आवाहन मंदिर के ग्रामस्थ आयोजक कार्यकर्ताओं ने किया है.
इस मंदिर की ऐतिहासिक जानकारी यह है कि पुराने समय में विदर्भ प्रदेश का राजा वृषभदेव को 10 लडके थे. इन 10 लडकों को राजधानी के चारों तरफ के स्थान को 10 भागों में बांट दिया था. उन लडके के नाम पर से उनके निवासस्थान की पहचान थी. उसमें से एक कैतुमाल नाम का लडका था. उसी के निवास के पडोस में जो बस्ती बसी गई उसे मालकेतू के नाम से पहचाना जाने लगा. इसका मालकेतू नाम बदलकर आगे मालखेड नाम प्रचलित हुआ. इस मालकेतु बस्ती का उल्लेख श्रीमद भागवत और देवी भागवत में दिखाई देता है. पूरे महाराष्ट्र के भक्त बडी संख्या में दर्शन के लिए आते है. विशेष यानी शिवालय तथा अंबामाता के एक ही जगह रहनेवाले ये मंदिर है. मंदिर से लगकर रहनेवाली भानामती नदी यह दक्षिणवाहिनी नदी है. इस नदी के किनारे की गई पूजा विधि जल्द ही सफल होती है. ऐसा कहा जाता है. चारों और हराभरा प्राकृतिक वातावरण है. सभी दृश्य देखने लायक है. इस देवी के दर्शन करने से आत्मिक शांति मिलती है. ऐसी भक्तों की श्रध्दा है.