अमरावतीमहाराष्ट्र

हेक्टेअर से एकड और गुंठे तक आ गये जिले के 64 फीसद किसान

भूधारणा घटी, अल्प व अत्यल्प भूधारकों की संख्या बढी

अमरावती/दि.11– कृषिप्रधान देश में अब खेती-किसानी को दुय्यम स्थान मिलता है. इसकी वजह से युवा पीढी की खेती-किसानी में रुचि काफी हद तक घट गई है. इसका सीधा परिणाम भूधारणा पर हो रहा है. जिले में फिलहाल अत्यल्प व अल्प भूधारकों की संख्या 74 फीसद के आसपास जा पहुंची है. जिनकी तुलना में बहुभूधारक किसानों की संख्या मात्र 26 फीसद है. किसी समय हेक्टेअर में जमीनधारण करने वाले किसानों के पास आज कृषियोग्य जमीन एकड से घटकर गुंठे तक आ पहुंची है.

बता दें कि, जिले की अर्थव्यवस्था आज भी कृषि क्षेत्र पर आधारित है. जिले में किसी समय अधिकांश परिवार बहुभूधारक थे. परंतु कालांतर में परिवार में सदस्यों की संख्या बढने और सदस्यों के बीच जमीनों का बंटवारा होने के चलते अब कई परिवारों के पास कुछ एकड या गुंठे जमीनें बची हुई है. लगातार अकाल व फसलों की बर्बादी के अलावा आय का अन्य कोई दूसरा स्त्रोत नहीं रहने के चलते कृषियोग्य जमीनों की विक्री का दौर शुरु हुआ. जिसकी वजह से आज यह स्थिति सामने है.

कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिले में किसानों की संख्या 4 लाख 70 हजार 205 तथा कृषि योग्य भूक्षेत्र 12 लाख हेक्टेअर तक है. जिसमें से औसत भूधारणा 1 हेक्टेअर के आसपास है. किसानों द्वारा खरीफ सीजन में प्रमुख तौर पर कपास, तुअर व सोयाबीन तथा रबी सीजन में गेहूं व चने की बुलाई करने के साथ ही संतरे के फल-बागान भी लगाये जाते है. साथ ही पारंपारिक फसलों की ओर ही किसानों की रुचि अधिक है. परंतु विगत कुछ समय से प्रकृति द्वारा साथ नहीं दिये जाने के चलते किसानों की आर्थिक स्थिति कमकुवत हो गई है. ऐसे में किसानों को सरकारी योजनाओं की साथ और कृषि पूरक व्यवसाय की जोड मिलना बेहद आवश्यक है.

* आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी
पहले ही भूधारणा कम रहने और इसमें भी किसान परिवारों में सदस्य संख्या के बढते रहने की वजह से जमीनों का लगातार विभाजन हो रहा है. साथ ही गांव के आसपास रिहायशी बस्तियां विकसित होने के चलते कई कृषियोग्य जमीनों को अकृषक कर दिया गया है. ऐसी तमाम बातें आगामी समय के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है.

* कृषिपूरक व्यवसाय आवश्यक
कृषि व्यवसाय को यदि प्रकृति का साथ नहीं मिलता है और सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है, तो ऐसे समय खेती-किसानी करना काफी मुश्किल काम है. जिसके चलते ऐसे समय साग-सब्जी, दुग्ध व्यवसाय, बकरी पालन व कुक्कुटपालन जैसे अन्य छोटे-मोटे व्यवसाय करना आवश्यक है.

* खेतों में पारंपारिक फसलों के साथ ही प्रगत कृषि तंत्र का प्रयोग एवं कृषि पूरक व्यवसाय की जोड बेहद आवश्यक है. सरकार की विविध योजनाओं के जरिए किसानों का जीवनमान उंचा उठ सकता है.
– प्रवीण राउत, कृषितज्ञ.

* जिले की स्थिति
अल्पभूधारक किसान – 40% – 1,88,756
बहुभूधारक – 26% – 1,20,341
अत्यल्प भूधारक – 34% – 1,61,108

अनुसूचित जाति के किसान – 51,686
अनुसूचित जनजाति के किसान – 32,391
सर्वसाधारण किसान – 3,86,128
जिले के कुल किसान – 4,70,205

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