अमरावती

शौचालय घोटाले में 668 पन्नों की चार्जशीट

मनपा के साथ किया गया 75 लाख रूपये की जालसाजी का प्रयास

अमरावती/दि.28- पुराने लाभार्थी व पहले से बने व्यक्तिगत शौचालय दिखाकर नये लाभार्थी व नये शौचालयों के नाम पर करीब 74.80 लाख रूपये के देयक प्रस्तुत करते हुए महानगरपालिका के साथ जालसाजी करने के मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने करीब 668 पन्नों की चार्जशिट स्थानीय अदालत में पेश की. ज्ञात रहे कि, मनपा सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन अधीक्षक ने दो वर्ष पूर्व इस संदर्भ में अपनी शिकायत दर्ज करायी थी. जिसके बाद सिटी कोतवाली पुलिस व आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की गई जांच के बाद मनपा लेखा विभाग के लिपीक अनुप भगवान सारवान, बडनेरा झोन क्रमांक 4 के ठेका लिपीक संदीप राईकवार तथा ठेकेदार गजानन ढेवले व योगेश कावरे इन चार लोगों के खिलाफ दोषारोप तय किये गये है. हालांकि इसमें से अनुप सारवान नामक लिपीक की एक माह पहले ही मौत हो चुकी है.
बता दें कि, 74.80 लाख रूपयों का यह मामला बडनेरा झोन क्रमांक 4 में उजागर हुआ था. जहां पर 1 हजार 372 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किये बिना ही 2 करोड 49 लाख 22 हजार रूपयों की रकम सरकारी तिजोरी से हडप लिये जाने का मामला आगे चलकर सामने आया था. वहीं इससे पहले 26 जून 2020 को इसी झोन में 74.80 लाख रूपयों के फर्जी देयक पेश किये जाने के मामले में अपराध दर्ज हुआ था. जिसे लेकर लिपीक अनुप सारवान, बडनेरा झोन के ठेका नियुक्ति लिपीक संदीप राईकवार को गिरफ्तार किया गया. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2.49 करोड रूपये निकालने में सफल रहने पर सारवान व राईकवार ने एक बार फिर फर्जी दस्तावेजों की तीन फाईले प्रशासन के समक्ष पेश की. जिनमें 28.73 लाख, 25.33 लाख व 20.74 लाख ऐसे कुल 74.80 लाख रूपयों की लागत से व्यक्तिगत शौचालय बनाये जाने का दावा करते हुए देयकों की अदायगी की मांग की गई थी. किंतु तत्कालीन मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे की सजगता व सतर्कता के चलते यह पूरा फर्जीवाडा उजागर हुआ और 74.80 लाख रूपये के इन फर्जी देयकोें का मामला सामने आने के साथ-साथ यह भी पता चला कि, इससे पहले मनपा को फर्जी दस्तावेजों के जरिये करीब ढाई करोड रूपयों का चुना लगाया जा चुका है. उस समय इस मामले को लेकर अच्छा-खासा हडकंप भी मचा था और आयुक्त रोडे के निर्देश पर मनपा प्रशासन द्वारा इस मामले की शिकायत सिटी कोतवाली पुलिस में दर्ज कराई गई थी. पश्चात यह मामला जांच हेतु आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया.

* एक सदस्यीय समिती ने की थी जांच
निजी शौचालयों के देयकों को लेकर संदेह होने पर तत्कालीन आयुक्त प्रशांत रोडे ने तत्कालीन उपायुक्त विजय खोराटे की एक सदस्यीय जांच समिती गठित की थी. जिन्होंने अपनी जांच में अनुप सारवान व संदीप राईकवार की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए मामले की गहन जांच की जरूरत प्रतिपादित की थी. 74.80 लाख रूपये का गबन करने हेतु किये गये इस प्रयास की जांच करने के दौरान ही पता चला कि, इससे पहले इसी तरह से महानगरपालिका को 2.49 करोड रूपयों का चुना लगाया जा चुका है. जिसके बाद अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया था और सिटी कोतवाली पुलिस में दी गई शिकायत की जांच का काम इस मामले के सामने आते ही आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया. पश्चात आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपियों को गिरफ्तार करने और उनका पुलिस कस्टडी रिमांड हासिल करते हुए पूछताछ करने के बाद पूरे मामले की पडताल की. जिसके उपरांत इस मामले को लेकर अदालत के समक्ष चार आरोपियों के खिलाफ 668 पन्नों का दोषारोप पत्र पेश किया गया.

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