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7 को अमरावती मनपा हाजीर हो…

हरीत लवाद के समक्ष होगी कंपोस्ट डिपो को लेकर सुनवाई

* लंबे अरसे से अटका पडा है बायोमायनिंग का मामला
* अब प्रशासन सहित स्थायी समिती भी आयेगी लपेटे में
अमरावती/दि.25– विगत लंबे समय से सुकली कंपोस्ट डिपो परिसर में जमा हो चुके कचरे के बडे-बडे पहाडों और यहां से फैलनेवाले प्रदूषण को देखते हुए शहर में बायोमायनिंग प्रकल्प शुरू किये जाने की बात की जा रही है. किंतु हर बार यह मामला किसी न किसी अडंगे की वजह से अटक जाता है और लंबे समय से अधर में लटका हुआ है. जिसकी वजह से इससे पहले राष्ट्रीय हरीत लवाद द्वारा अमरावती मनपा से 1 करोड रूपये का दंड भी वसूला जा चुका है और इसके बावजूद कामकाज में कोई सुधार नहीं होता देख 47 करोड रूपये का दंड लगाते हुए प्रतिमाह 10 लाख रूपये की पेनॉल्टी भरने हेतु कहा गया है. हालांकि 47 करोड रूपये के दंड के खिलाफ मनपा प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगायी है. वहीं अब आगामी 7 फरवरी को सुकली कंपोस्ट डिपो व बायोमायनिंग के मामले को लेकर प्रशासन को राष्ट्रीय हरीत लवाद के समक्ष उपस्थित रहना है और सुकली कंपोस्ट डिपो भी मौजूदा स्थिति को दर्शाने हेतु जीओ टैगवाले फोटो भी प्रस्तुत करने है.
बता दें कि, इससे पहले राष्ट्रीय हरित लवाद के समक्ष हुई सुनवाई में मनपा के तत्कालीन आयुक्त प्रशांत रोडे को उपस्थित रहना पडा था और सुनवाई के दौरान लवाद ने मनपा से उसका एक्शन प्लान मांगा था. जिसके बाद 30 नवंबर को हुई सुनवाई में मनपा ने बाकायदा हलफनामा प्रस्तुत करते हुए 15 जनवरी 2022 तक वर्क ऑर्डर जारी करने और बायोमायनिंग प्रकल्प का काम शुरू करते हुए इसे अगले वर्ष 15 जनवरी 2023 तक पूरा करने की बात कही थी. इसके बाद लवाद ने इस मामले पर सुनवाई हेतु अगली तारीख 7 फरवरी तय की. लेकिन इधन हकीकत यह है कि, सुकली कंपोस्ट डिपो पर अभी भी हालात पहले की तरह ही है और बायोमायनिंग प्रकल्प के काम व ठेके की फाईल अपनी जगह से एक इंच भी आगे-पीछे नहीं सरकी है. यानी मामला जहां के वहां ही अटका पडा है. ऐसे में अब देखनेवाली बात यह है कि, आगामी 7 फरवरी को स्थानीय प्रशासन यानी मनपा आयुक्त, जिलाधीश व राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा राष्ट्रीय हरीत लवाद के समक्ष अपनी ओर से क्या जवाब पेश किया जाता है.
इधर दूसरी ओर इस मामले को राष्ट्रीय हरीत लवाद तक ले जानेवाले पर्यावरणवादी गणेश अनासाने ने अब प्रशासन के साथ-साथ मनपा की स्थायी समिती को भी इस मामले में लपेटने और प्रतिवादी बनाने की पूरी तैयारी कर ली है. जिसके तहत अनासाने द्वारा बायोमायनिंग प्रकल्प को लेकर स्थायी समिती की बैठकोें में अब तक क्या विचार-विमर्श हुआ और निर्णय लिये गये, इससे सबंधी जानकारी और बैठकों के कार्यवृत्तांत की जानकारी सूचना अधिकार के तहत मांगी गई है. गणेश अनासाने के मुताबिक विगत कुछ अरसे से देखा जा रहा है कि, स्थानीय प्रशासन को बायोमायनिंग प्रकल्प को लेकर अपनी ओर से कदम आगे बढाने की पूरी तैयारी कर रहा है. किंतु यह मामला स्थायी समिती के आगे ही नहीं बढ पा रहा. ऐसे में स्थायी समिती की जवाबदारी भी तय होना चाहिए. जिसके लिए उन्होंने सूचना अधिकार के तहत स्थायी समिती की बैठकोें के कार्यवृत्तांत की जानकारी मांगी है और इस जानकारी से भी राष्ट्रीय हरीत लवाद को अवगत कराया जायेगा.
* केवल सुकली की नहीं, पूरे शहर की है समस्या
पर्यावरणवादी गणेश अनासाने के मुताबिक कंपोस्ट डिपो की समस्या केवल सुकली परिसर की नहीं है, बल्कि इस कंपोस्ट डिपो से समूचे शहर में प्रदूषण फैलता है. यह कंपोस्ट डिपो शहर के पश्चिमी छोर पर स्थित है और हवा का बहाव भी पश्चिम से पूरब की ओर ही होता है. ऐसे में सुकली कंपोस्ट डिपो में आये दिन लगनेवाली आग से उठनेवाला धुआं सामान्य तौर पर महज 18 मिनट के भीतर पूरे शहर में फैल जाता है. अत: इसे पूरे शहर की समस्या मानते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बायोमायनिंग प्रकल्प को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए. किंतु ऐसा हो नहीं रहा. इसका खामियाजा भी खुद अमरावती मनपा को दंड के तौर पर भुगतना पड रहा है. यदि बायोमायनिंग प्रकल्प को मान्यता दी जाती है, तो मनपा की तिजोरी से केवल 18.96 करोड रूपये खर्च होंगे. अन्यथा मनपा को 47 करोड रूपये का दंड भरना पडेगा. ऐसे में जाहीर और सीधी सी बात है कि, बायोमायनिंग प्रकल्प का काम जल्द से जल्द पूरा करना प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण एवं आर्थिक लिहाज से मनपा के लिए फायदेमंद रहेगा.
* लंबे समय से चर्चा में बना हुआ है बायोमायनिंग का मसला
उल्लेखनीय है कि, मनपा द्वारा सुकली कंपोस्ट डिपो का बोझ कम करने हेतु शहर में जहां एक ओर घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प का काम शुरू किया गया है. वहीं दूसरी ओर बायोमायनिंग प्रकल्प की भी टेेंडर प्रक्रिया शुरू करते हुए एक एजेंसी को इस काम का ठेका 18.96 करोड में देने की बात तय की गई. किंतु सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच चल रही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की वजह से यह मामला अधर में अटका हुआ है. जहां एक ओर सत्ता पक्ष इस काम का ठेका जल्द से जल्द देने की जल्दबाजी कर रहा है, वहीं विपक्ष द्वारा इस काम के लिए मनपा की तिजोरी की बजाय स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत राज्य एवं केंद्र सरकार से प्राप्त निधी के तहत खर्च करने की मांग की जा रही है. ताकि मनपा पर अनावश्यक बोझ न पडे. वहीं स्थायी समिती की पिछली दो बैठकों में भी इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है.

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