गृह मंत्री ध्यान देंगे क्या
अमरावती – /दि.21 राज्य में मध्यवर्ती व जिला कारागृह में डेढ वर्ष में 8 हजार कैदियों की संख्या बढी है. वहीं दूसरी तरफ जेलर के 100 पद रिक्त है. केवल विदर्भ में 40 पदों का अनुशेष है. 9 में से 7 मध्यवर्ती कारागृह में कायमस्वरुप अधीक्षक न रहने से अंतर्गत सुरक्षा खतरे में आ गई है. इस कारण कारागृह के रिक्त पदों का मामला गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस द्बारा हल किया जाएगा क्या? ऐसा प्रश्न उपस्थित किया गया है.
कारागृह अधीक्षक पद काफी महत्व का है. नागपुर, अमरावती, येरवडा, कोल्हापुर, औरंगाबाद, ठाणे, मुंबई इन सातों मध्यवर्ती कारागृह में अधीक्षक नहीं है. अधीक्षक पद सहित डीआईजी मुख्यालय पुणे, कारागृह मध्य विभाग औरंगाबाद और पूर्व विभाग नागपुर में डीआईजी पद पर पात्र अधिकारी को कार्यरत करने में गृह विभाग विफल रहा है. वर्धा, चंद्रपुर, गडचिरोली, अकोला, बुलढाणा, यवतमाल जिला कारागृह के अधीक्षक के तबादलों की अवधी होने के बाद भी फाइल पुणे के गृह विभाग में प्रलंबित है.
कैदियों के नियमित काम पर परिणाम
कारागृह में क्षमता से अधिक कैदी है. डेढ वर्ष में 8 हजार कैदियों की संख्या बढी है. इस कारण कोरोना के बाद अपराधों का प्रमाण बढा हुआ समझा जा सकता है. लेकिन कारागृह प्रशासन ने पिछले 5 सालों से सुरक्षा रक्षक, जमादार, जेल अधिकारी, कारागृह अधीक्षक, कार्यालयीन कर्मचारी पदों की भर्ती नहीं की है. हर दिन कैदियों की संख्या बढ रही है. कारागृह में मनुष्यबल कम रहने से कैदियों के नियमित तथा न्यायालयीन काम पर इसका असर हो रहा है.