शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में लगातार बढ रहे मामले
शिकायत व अपराध दर्ज होने का प्रमाण कम
अमरावती/दि.2- किसी को भी जादू-टोने अथवा तंत्र-मंत्र का भय दिखाने और टोने टोटके के नाम पर किसी के साथ जालसाजी करने वालों के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून के तहत 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है. इसके बावजूद इस तरह का भय दिखाने वाले अथवा जालसाजी करने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत मिलने का प्रमाण काफी कम है. जबकि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र से आए दिन ऐसे मामले दिखाई व सुनाई देते है.
उल्लेखनीय है कि, ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में रहने वाले पढे-लिखे लोग भी अंधश्रद्धा के मकडजाल में फंसे पाए जाते है. इसमें उनका शोषण होने के साथ-साथ उनकी आर्थिक लूट भी होती है. परंतु अपने साथ जालसाजी व लूट होने की बात समझमें आने पर भी जिसका शिकार होने वाले लोगों द्बारा इसकी शिकायत देने में टाल-मटोल की जाती है. जबकि जादू-टोना व तंत्र-मंत्र के नाम पर ‘बुवाबाजी’ करने का दावा करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान है. लेकिन शायद यह बात अब तक सर्वसामान्य लोगों तक पहुंच ही नहीं पायी है.
यहां इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया जा सकता है कि, केवल किसी गंभीर घटना में ही फौजदारी कानून के साथ अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून की धाराएं लगाकर कार्रवाई की जाती है. विगत दिनों ही चांदूर रेल्वे में पैसों की बारिश करवाने के नाम पर ढाई लाख रुपए लेकर ऐसा नहीं करने पर एक मांत्रिक की चार लोगों ने हत्या कर दी थी. उस मामले के सामने आने के बाद फौजदारी कानून के साथ ही अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून की धाराएं लगाकर मामला दर्ज किया गया है.
* यह कृत्य साबित होते है अपराध
भूत निकालने के बहाने प्राणघातक अत्याचार करने, लैंगिक अत्याचार करने, चमत्कार का दावा करते हुए लोगों को फंसाने और जादू-टोने का भय दिखाकर लोगों को भयभीत करने जैसे कृत्य कानूनन अपराध करार दिए गए है.
* 7 साल की हो सकती है जेल
अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून के तहत दोषी ठहराएं गए व्यक्ति को दोषसिद्ध होने पर 6 माह से लेकर 7 वर्ष तक के कारावास तथा 5 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाने का प्रावधान है.
* 7 माह में एक भी शिकायत नहीं
जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में धडल्ले के साथ बुवाबाजी और भोंदूगिरी का काम चल रहा है. ऐसे कई मामले अब तक सामने आ चुके है. परंतु ऐसे मामलों के खिलाफ शिकायत देने हेतु अमूमन कोई सामने नहीं आता. यहीं वजह है कि, विगत 7 माह के दौरान पुलिस में किसी भी तांत्रिक या मांत्रिक के खिलाफ कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं है.
* क्या हैं जादू-टोना विरोधी कानून?
महाराष्ट्र नरबली व अन्य अमानवीय, अघोरी व दुष्कर्मी प्रथा तथा काला जादू प्रतिबंधक अधिनियम-2013 यह एक क्रांतिकारी कानून है. 26 अगस्त 2013 को इस कानून का अध्यादेश जारी किया गया था. विशेष उल्लेखनीय है कि, यह कानून सभी राजनीतिक दलों की सहमति से पारित हुआ था. इस कानून के चलते अब नरबली व अन्य अमानवीय प्रथाओं को प्रतिबंधित किया गया है.
* पढे-लिखे लोग भी अंधश्रद्धा का शिकार
– पैसों की बारिश
नागपुर में रहने वाले 4 पढे-लिखे लोग चांदूर रेल्वे निवासी मांत्रिक के चक्कर में फंस गए थे. जिन्हें उस मांत्रिक ने पैसों की बारिश करवाने का झांसा देकर उनसे ढाई लाख रुपए ऐंठ लिए थे. लेकिन जब उक्त मांत्रिक ऐसा करने में नाकाम रहा, तो उन चारों लोगों ने उस मांत्रिक की जमकर पिटाई करते हुए उसे मौत के घाट उतार दिया था.
– निराशा का शिकार होकर भोंदूबाबा की शरण
यदि परिवार में किसी को कोई दुर्धर बीमारी है और किसी का कोई काम नहीं बन रहा, तो ऐसे समय लोगबाग अपनी समस्या का समाधान करने हेतु भोंदूबाबा के यहां चक्कर काटने लगते है. जिसके बाद वे ऐसे बाबाओं द्बारा किए जाने वाले शोषण व लूट का शिकार होते है.
* महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2013 में जादू-टोना, अघोरी कृत्य, नरबली व काला जादू के खिलाफ कठोर कानून बनाते हुए उसे लागू किया. यदि इस कानून के दायरे में समाविष्ट होने वाली कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो उस लिहाज से अपराधिक मामला दर्ज किया जाता है.
– अविनाश बारगल,
जिला पुलिस अधीक्षक.