अमरावती

जिले में 70 संकटग्रस्त महिलाओं को आधार

महिला व बालविकास विभाग व्दारा संकटग्रस्त महिलाओं के लिए निवारा केंद्र

अमरावती/ दि. 16– लैंगिक अत्याचार, पारिवारिक कलह सहित अन्य विभिन्न अत्याचारों से पीडित तथा संकटग्रस्त महिलाओं को आधार देने हेतु सखी संकटग्रस्त महिला निवारा केंद्र काफी उपयोगी साबित हो रहा है. जिला स्त्री अस्पताल यानी डफरीन परिसर में रहने वाले इस निवारा केंद्र में 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2022 तक 9 माह की कालावधि के दौरान 70 पीडित व संकटग्रस्त महिलाओं को आधार मिला है. इन सभी महिलाओं को समाज में एक बार फिर सम्मान के साथ जीने और उन्हें अपने पैरों पर खडे करने हेतु मदद भी की गई है.
केंद्र सरकार पुरस्कृत महाराष्ट्र सरकार तथा जिला महिला व बालविकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संकटग्रस्त महिलाओं को एक ही छत के नीचे समुपदेशन, वैद्यकीय मदद, कानूनी सहायता, पुलिस सहायता व अस्थायी निवारा जैसी सभी सुविधाएं सखी संकटग्रस्त महिला निवारा केंद्र के जरिये उपलब्ध करायी जाती है. इस निवारा केंद्र का संचालन प्रज्ञा एज्युकेशनल एण्ड सोशल वेलफेअर सोसायटी व्दारा किया जाता है. किसी भी तरह के हिंसाचार व भ्रष्टाचार का शिकार रहने वाली पीडित महिलाओं को आधार व सहारा देने का काम इस संस्था व्दारा किया जाता है. महिला व बालविकास विभाग व्दारा वर्ष 2017 से चलाई जा रही इस योजना की जिम्मेदारी अगस्त 2022 से प्रज्ञा एज्युकेशनल एण्ड सोशल वेलफेअर सोसायटी के पास सौंपी गई. जिसके व्दारा योजना की पदसिध्द अध्यक्ष जिलाधीश पवनीत कौर के मार्गदर्शन में बेहतरीन काम किया जा रहा है.

तीन महिलाओं को दिया रोजगार
संस्था के अध्यक्ष संघरत्न नन्नावरे ने जानकारी देते हुए बताया कि, निवारा केंद्र में आयी तीन संकटग्रस्त महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही उनके स्वतंत्र रहने की व्यवस्था की गई है. साथ ही कुछ महिलाओं को अन्य शहरों में स्थित महिला व बालविकास विभाग के निवास स्थानों में भेजा गया है. इसके अलावा महिलाओं का समुपदेशन करते हुए उन्हें कानूनी मदद उपलब्ध कराई गई है. जिसके तहत पारिवारिक हिंस्सा से संबंधित मामलों का निपटारा भी किया गया.

पीडित महिलाओं के बच्चों की पढाई
जिला स्त्री अस्पताल की सहायता से कुछ कुमारी गर्भवती युवतियों की प्रसूति कराई गई. साथ ही जिन पीडितों को अपना बच्चा नहीं चाहिए था, ऐसे बच्चों को मान्यताप्राप्त संस्था की सहायता से अगली कार्रवाई के लिए भेजा गया. इन बच्चों को बालकल्याण समिति की सहायता लेकर स्कूल में दाखिला दिलाते हुए उनकी पढाई-लिखाई कराई जा रही है. ताकि उन्हें शिक्षा के मुख्य प्रवाह में लाया जा सके.

 

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