अमरावती/दि.22– बारिश के मौसम दौरान सर्पदंश की घटनाओं में अचानक ही वृद्धि हो गई है. विगत 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक 4 माह की कालावधि दौरान जिले में 748 लोगों को सर्पदंश हुआ. इसमें से 8 नागरिकों की इलाज के दौरान मौत हुई है, ऐसी जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा दी गई है. सर्पदंश की सर्वाधिक घटनाएं ग्रामीण क्षेत्र में घटित होती है और सर्वाधिक मरीजों का इलाज अमरावती शहर स्थित जिला सामान्य अस्पताल में कराया जाता है.
बता दें कि, बारिश के सीजन दौरान बिलों में पानी भर जाने के चलते सांप बिलों से बाहर निकलकर खुले में आ जाते है. जिसके चलते सर्पदंश की घटनाएं बडे पैमाने पर बढ जाती है. विशेष रुप से ऐसी घटनाओं का प्रमाण ग्रामीण क्षेत्रों में काफी अधिक होता है. सर्पदंश का शिकार होने वाले व्यक्ति को तुरंत इलाज मिलने की जरुरत होती है. जिसके चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उपकेंद्र में सर्पदंश पर इलाज हेतु आवश्यक रहने वाली सभी जरुरी दवाईयों की आपूर्ति की जाती है. परंतु अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज की सुविधा उपलब्ध रहने के बावजूद भी डॉक्टरों द्वारा इलाज न करते हुए संबंधित मरीजों को ग्रामीण अस्पताल या जिला सामान्य अस्पताल में रेफर किया जाता है. जिसके चलते इलाज में होने वाले विलंब की वजह से मरीज की स्थिति गंभीर होकर कई बार मरीज की जान पर बन आती है.
बारिश सहित हाल फिलहाल के 4 माह की कालावधि में भी सर्पदंश की वजह से 8 लोगों को अपनी जान गवानी पडी है. जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र मेें रहने वाले लोगों द्वारा सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है.
* सर्पदंश के बाद कैसे करें प्रथमोपचार?
सांप द्वारा डसे जाने के बाद सबसे पहले संबंधित व्यक्ति का धाडस बंधाये, जिसके बाद उसे तत्काल किसी नजदीकी दवाखाने अथवा अस्पताल में लेकर जाये. सर्पदंश के निशान देखकर डॉक्टरों को यह पता चल जाता है कि, सांप जहरीला था अथवा नहीं. साथ ही तुरंत इलाज मिलने पर मरीज की जान बचाना भी संभव होता है.
* इर्विन में 401 मरीजों पर इलाज
जिले में सर्पदंश का शिकार हुए कुल 748 मरीजों में से 401 मरीजों को इर्विन अस्पताल में इलाज हेतु लाया गया, जिसमें से 245 मरीजों को इलाज हेतु इर्विन अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उन पर आईसीयू में इलाज किया गया. इनमें से 7 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई. इसी तरह चुरणी स्थित ग्रामीण अस्पताल में भी सर्पदंश का शिकार रहने वाले 60 मरीजों को इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसमें से एक मरीज की इलाज के दौरान मौत होने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई है.
* 279 लोगों को बिच्छु काटा
सर्पदंश के साथ ही जिले में बिच्छु दंश के मामले भी बडे पैमाने पर घटित हुए है. विगत 4 माह के दौरान जिले में 279 नागरिकों को बिच्छु दंश हुआ है. लेकिन समय पर इलाज मिल जाने के चलते बिच्छु दंश की वजह से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. बिच्छु दंश वाले सर्वाधिक 74 मरीजों पर तिवसा के उपजिला अस्पताल में इलाज किया गया. वहीं नांदगांव खंडेश्वर के ग्रामीण अस्पताल में 42 मरीजों को भर्ती किये जाने की जानकारी है.
* बारिश के सीजन दौरान सर्पदंश व बिच्छु दंश की घटनाएं काफी अधिक बढ जाती है. ऐसे समय संबंधित व्यक्ति को तांत्रिक व मांत्रिक के पास ले जाकर बेवजह समय नष्ट नहीं करना चाहिए. बल्कि संबंधित मरीज को समय रहते नजदीकी अस्पताल में ले जाकर उसका इलाज करवाना चाहिए, ताकि उसकी जान बचाई जा सके.
– डॉ. प्रीति मोरे,
प्रभारी जिला शल्यचिकित्सक.