* लाभार्थियों से नहीं मिल रहा प्रतिसाद
अमरावती/दि.5- जिले में राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजना अंतर्गत एपीएल राशन कार्ड धारक किसानों को 20 किलो अनाज वितरित किया जाता था. जिसे सात माह पहले बंद करते हुए अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी योजना के तहत अनाज के बदले में प्रति राशन कार्ड 150 रुपए प्रति माह का आर्थिक लाभ दिया जाता है. परंतु इस योजना को लेकर व्यापक जनजागृति का अभाव रहने के चलते लाभार्थी किसान अब भी अपना 7/12 दस्तावेज व आधार से लिंक रहने वाला बैंक खाता क्रमांक आपूर्ति विभाग को नहीं दिया है. जिसकी वजह से आपूर्ति विभाग ने 80 हजार लाभार्थियों को नोटिस जारी करते हुए आवश्यक प्रक्रिया निपटाने का आहवान किया है. लेकिन इसे भी जरुरी प्रतिसाद नहीं मिला है. जिसके चलते कई लाभार्थी सरकारी अनाज व आर्थिक लाभ से वंचित है.
जानकारी के मुताबिक करीब 15 हजार लाभार्थियों के खाते में जनवरी से मार्च ऐसे तीन महीने के ही पैसे जमा हुए है, जबकि शेष लाभार्थियों को अनाज व पैसे में से किसी का भी लाभ नहीें मिला है. राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत जिले के जिन एपीएल राशनकार्ड धारक किसानों का समावेश नहीं किया गया है, उन्हें जनवरी 2023 से सरकारी राशन की बजाए 150 रुपए का आर्थिक लाभ डीबीटी के तहत दिया जा रहा है. जिले में एपीएल कार्ड धारकों की संख्या 9319 है. जिसमें से केवल 15 हजार लाभार्थियों के बैंक खाते में विगत जनवरी से मार्च माह तक अनुदान जमा करवाया गया है. वहीं शेष करीब 85 हजार लाभार्थियोें को सरकारी अनाज व आर्थिक लाभ में से किसी का भी लाभ नहीं मिला है.
* अब अनाज नहीं, आर्थिक लाभ ही मिलेगा
इस योजना के अंतर्गत अब सस्ती दरों पर सरकारी अनाज नहीं दिया जाएगा. बल्कि अनाज के बदले पैसे ही मिलेंगे. कई लाभार्थियों ने पैसोें के बदले ही पहले की तरह अनाज दिए जाने की मांग उठाई है. परंतु अब इस योजना के तहत केवल आर्थिक लाभ का ही एकमात्र पर्याय उपलब्ध है. ऐसे में या तो योजना के लाभार्थियोें को आर्थिक लाभ का पर्याय ही स्वीकार करना होगा, या फिर उन्हें इस योजना का लाभ छोडना पडेगा.
इस योजना के तहत 150 रुपए प्राप्त करने हेतु किसानों के लिए जमीन का 7/12 व आधार कार्ड से लिंक रहने वाले बैंक खाते की जानकारी देना अनिवार्य रहने के बावजूद 80 हजार से अधिक किसानों ने अब तक अपने आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करवाए है. जिसे लेकर बार-बार सूचना व निर्देश दिए जा रहे हैं. परंतु इसे आवश्यक व अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिल रहा है.
– बी. के. वानखडे,
जिला आपूर्ति अधिकारी