अमरावती

खर्च का ब्यौरा नहीं देने वाले 800 प्रत्याशी निशाने पर

257 ग्राम पंचायतों के चुनाव का चल रहा हिसाब-किताब

* तहसीलनिहाय नाम मांगे गए
अमरावती/दि.21 – गत वर्ष 20 दिसंबर को जिले की 257 ग्राम पंचायतों के चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण हुई. ग्राप चुनाव लडने वाले सभी प्रत्याशियों को 20 जनवरी 2023 तक अपने चुनावी खर्च का लेखा-जोखा प्रस्तूत करने का समय दिया गया था. लेकिन अब भी 800 से अधिक प्रत्याशियों ने अपने खर्च का ब्यौरा प्रस्तूत नहीं किया है. जिसके चलते उन्हें नोटिस जारी की जा रही है. साथ ही चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं देने वाले तहसीलनिहाय उम्मीदवारों के नामों की सूची जिला प्रशासन द्बारा मांगी गई है.
बता दें कि, इस बार सीधे जनता के जरिए 256 सरपंचों का चुनाव किया गया है. जिसके साथ ही 2 हजार से अधिक ग्रापं सदस्यों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया चलाई गई. इस बार चुनावी खर्च में संबंधित ग्राम पंचायत की सदस्य संख्या के हिसाब से अधिकतम खर्च की सीमा तय की गई थी. जिसमें सरपंच पद के लिए 50 हजार से 1.75 लाख तथा सदस्य पद के लिए 25 हजार से 50 हजार रुपए के अधिकतम खर्च की सीमा निर्वाचन आयोग द्बारा तय की गई थी. सभी उम्मीदवारों ने इस अधिकतम सीमा के भीतर ही चुनावी खर्च किया है और किसी भी प्रत्याशी द्बारा अधिकतम सीमा से अधिक खर्च किए जाने की शिकायत जिला प्रशासन के पास नहीं पहुंची. परंतु 800 से अधिक उम्मीदवारों ने अब तक अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा पेश नहीं किया है. जिसके चलते वे अब निर्वाचन विभाग के निशाने पर आ गए है. इन सभी प्रत्याशियों को जिलाधीश कार्यालय द्बारा नोटिस जारी की जाएगी. साथ ही यदि उनके द्बारा समाधानकारक जवाब नहीं मिलता है, तो उन पर अपात्रता की कार्रवाई भी की जा सकती है.

* ग्रापं चुनाव के लिए बंदी, अन्य चुनाव के लिए छूट
चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं देने वाले उम्मीदवारों पर यदि अपात्रता की कार्रवाई होती है, तो वे अगले 6 वर्ष तक ग्राम पंचायत का चुनाव लडने के लिए अपात्र हो जाएगेे. हालांकि उन्हें स्थानीय स्वायत्त संस्था के अन्य चुनाव लडने की अनुमति रहेगी, ऐसी जानकारी जिला निर्वाचन विभाग द्बारा दी गई है. साथ ही बताया गया है कि, अगले एक सप्ताह तक इस विषय को लेकर प्रक्रिया शुरु रहेगी.

* जाति वैधता प्रमाणपत्र नहीं देने वाले भी फंसेंगे मुश्किल में
जिले में वर्ष 2021 के दौरान भी कुछ ग्राम पंचायतों के चुनाव हुए थे. जिसमें आरक्षित प्रभागों से चुनाव लडने वाले प्रत्याशियों को चुनकर आने के बाद एक वर्ष के भीतर जाति वैधता प्रमाणपत्र देने की सुविधा प्रदान की गई थी. पश्चात कोविड काल के चलते इस कार्य हेतु समयावृद्धि दी थी. परंतु इसके बावजूद कई ग्रापं सदस्यों ने अब तक अपने जाति वैधता प्रमाणपत्र नहीं दिए है. जिसके चलते उनके खिलाफ अपात्रता की कार्रवाई हो सकती है.

 

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