कच्ची झोपडी में रहने वाली 85 वर्षीय दादी ने दान किया 18 लाख रुपए का सोना
भगवान विठ्ठल-रुख्मिणी को चढाए 26 तोले सोने के गहने
* इससे पहले भी कई मंदिरों को दे चुकी है 50 लाख से अधिक का दान
धाराशिव/दि.19– दानवीरता का किसी व्यक्ति की अमीरी या गरीबी से कोई संबंध नहीं होता. बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर करता है. यह बात उस समय बडी मजबूती के साथ स्थापित हुई. जब धाराशिव के बेंबली गांव में रहने वाली 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने पंढरपुर पहुंचकर अपने आराध्य भगवान विठ्ठल-रुख्मिणी को 18 लाख रुपए मूल्य के 26 तोला सोने के गहने दान स्वरुप चढा दिए.
विशेष उल्लेखनीय है कि, पूरे परिसर में वाघे आजी के रुप में विख्यात बाई लिंबा वाघे नामक यह बुजुर्ग महिला बेंबली गांव में अकेली ही रहती है और उनके कच्चे मकान में न फर्श है और न बिजली की व्यवस्था 50 वर्ष पूर्व वाघे आजी के पति का निधन हो गया था और उन्हें कोई बाल-बच्चे भी नहीं है. इसके बावजूद वाघे आजी अपने हिस्से में रहने वाले 11 एकड खेत में कडी मेहनत करती है और खेती किसानी से होने वाली आय के जरिए अपना उदर निर्वाह करने के साथ ही बचे हुए पैसे दान-धर्म के लिए जमा रखती है. इन्हीं पैसों से वाघे आजी इससे पहले अलग-अलग मंदिरों को 50 लाख रुपए से अधिक की रकम विविध स्वरुप में दान कर चुकी है. साथ ही अब उन्होंने अपने आराध्य भगवान विठ्ठल के लिए सोने का करदोडा और माता रुख्मिणी के लिए सोने का गंठन बनवाया. यह करदोडा व गंठन 26 तोले का है. जिसकी कीमत 18 लाख रुपए के आसपास है. इसे खरीदने हेतु वाघे आजी ने अपना 6 एकड खेत भी बेच दिया. ऐसी जानकारी सामने आयी है. साथ ही गहने बनवाने के बाद वाघे आजी ने विगत दिनों ही पंढरपुर के विठ्ठल मंदिर पहुंचकर मंदिर संस्थान के विश्वस्तों से मुलाकात करते हुए अपने आराध्य को अपने द्वारा लायी गई भेंट अर्पित की.