दो दशकों में मराठा समाज के 9 किसानों ने की आत्महत्या
पिछडावर्गीय आयोग के अध्ययन में सामने आयी जानकारी
अमरावती/दि.1– मराठा समाज के पिछडेपण को लेकर राज्य पिछडावर्गीय आयोग द्वारा फिलहाल विभिन्न विषयों से संबंधित जानकारी संकलित करते हुए उसका अध्ययन किया जा रहा है. किसान आत्महत्या का विषय भी उतना ही गंभीर रहने के चलते इससे संबंधित जातिनिहाय जानकारी राज्य सरकार द्वारा मांगी गई है. जिसके जरिए पता चला है कि, सन 2001 से 2023 के दौरान मराठा समाज के 9 किसानों ने आत्महत्या की थी.
राज्य पिछडावर्गीय आयोग द्वारा मराठा समाज के शैक्षणिक, आर्थिक व सामाजिक पिछडेपन की पडताल करने हेतु जिले भर में 183 प्रश्नों के आधार पर सर्वेक्षण किया जा रहा है. साथ ही विविध विषयों को लेकर जानकारी भी हासिल की जा रही है. पश्चिम विदर्भ व मराठवाडा क्षेत्र किसान आत्महत्या के लिए पहले से कुख्यात है. ऐसे में मराठा समाज के किसानों द्वारा आर्थिक परेशानियों के चलते आत्महत्या किये जाने से संबंधित जानकारी आयोग द्वारा संकलित की जा रही है. ऐसा प्रशासन द्वारा बताया गया है.
बता दें कि, अमरावती जिले में वर्ष 2001 से किसान आत्महत्या के मामलों की जानकारी स्वतंत्र तौर पर दर्ज की जा रही है. जिसके मुताबिक दिसंबर 2023 तक 5168 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई है. इसमें से 2696 मामले सरकारी सहायता हेतु पात्र साबित हुए है. वहीं 2405 मामलों को सरकारी सहायता के लिए अपात्र ठहराया गया. इसके साथ ही यह जानकारी भी सामने आयी कि, अमरावती जिले मेें विगत 20 वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वाले किसानों में 9 किसान मराठा समाज से वास्ता रखते थे.
* राज्य पिछडावर्गीय आयोग ने मांगी जानकारी
राज्य में किसान आत्महत्याओं को ध्यान में रखते हुए राज्य पिछडावर्गीय आयोग ने सरकार से जानकारी मांगी है. जिनमें मराठा जाति, अनुसूचित जाति, विमुक्त जाति, भटक्या जनजाति, भटक्या जाति, ‘ब’, ‘क’ व ‘ड’ प्रवर्ग एवं विशेष पिछडा प्रवर्ग के अलावा मराठा समाज के अतिरिक्त खुले प्रवर्ग के किसानों की आत्महत्याओं की जानकारी निर्धारित प्रारुप में मांगी गई है. इससे संबंधित कई जानकारियां प्रशासन के पास दर्ज नहीं रहने की बात भी सामने आयी है.
* 5 पात्र, 4 अपात्र
प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सन 2009 में मराठा समाज के तीन किसानों ने आत्महत्या की थी. जिसमेें से एक मामले को सरकारी सहायता के लिए पात्र माना गया. वहीं दो मामलों को अपात्र ठहराया गया.
– वर्ष 2010 में मराठा समाज के दो किसानों द्वारा आत्महत्या की गई थी तथा दोनों मामले सरकारी सहायता हेतु अपात्र ठहराये गये थे.
– वर्ष 2013 में मराठा समाज के दो किसानों द्वारा आत्महत्या की गई थी तथा दोनों ही मामलों को सरकारी सहायता हेतु पात्र ठहराया गया था.
– वर्ष 2014 में मराठा समाज के एक किसान द्वारा आत्महत्या की गई थी. जिसे सरकारी सहायता के लिए पात्र माना गया.
– इसके साथ ही वर्ष 2022 में मराठा समाज के एक किसान द्वारा आत्महत्या की गई और इस मामले को भी सरकारी सहायता के लिए पात्र माना गया.
– विगत 23 वर्ष के दौरान मराठा समाज के कुल 9 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई. जिसमें से 5 मामलों को सरकारी सहायता के लिए पात्र माना गया. वहीं 4 मामलों को सरकारी सहायता के लिए अपात्र घोषित किया गया.