अमरावती/दि.2 – ग्रीष्मकाल की जलकिल्लत निवारण के लिए उपाय अमल में लाने वाले ठेकेदारों को जिला परिषद के जलापूर्ति विभाग की ओर से 9 करोड से ज्यादा रकम मिली ही नहीं. उनके पास से देयकों के लिए लगातार तगादा लगाया जा रहा है. इस कारण प्रशासन निधि के अभाव में परेशान दिखाई देता है.
जिले में हर वर्ष ग्रीष्मकाल में निर्माण होने वाली जलकिल्लत निवारण के लिए जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की ओर से किल्लत प्रारुप तैयार किया जाता है. इस प्रारुप के अनुसार किल्लतग्रस्त गांव में टैंकर से जलापूर्ति करना, बोअर करना, कुपनलिका लेना, नल योजनाओं की विशेष दुरुस्ती, निजी कुओं का अधिग्रहण, अस्थायी नल योजना, बोअरवेल की विशेष दुरुस्ती, कुआ गहराईकरण, मलबा हटाना आदि उपाय किये जाते है. वर्ष 2019-20 में किल्लत प्रारुप में सुझाए गए करोडों के काम किये गए. काम कर साल बीत गया, लेकिन संबंधित ठेकेदारों को उसके देयक नहीं मिले. उन्होंने जलापूर्ति विभाग के पास बकाया देयक के लिए तगादा लगाया. किल्लत समयावधि में किये गए उन कामों के देयक अदा करने के लिए जलापूर्ति विभाग ने तकरीबन 9 करोड 7 लाख 37 हजार रुपए के निधि का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है किंतु सरकार की ओर से निधि उपलब्ध नहीं किया गया.
ऐसी है बकाया रकम
– टैंकर से जलापूर्ति 1.20 करोड
– नल योजनाओं की विशेष दुरुस्ती 4.43 करोड
– बोअरवेल व कुपनलिका 1.75 करोड
– अस्थायी पुरक नल योजना 47.30 लाख
– निजी कुओं का अधिग्रहण 1.21 करोड
कैसे करेंगे इस वर्ष सामना
एक ओर पिछले वर्ष किल्लत के काम होकर देयक अदा करने के लिए निधि नहीं. वहीं दूसरी ओर इस वर्ष के ग्रीष्मकाल में जलकिल्लत, उपायों का नियोजन होते समय प्रशासन संकट में फसा, पिछले वर्ष के देयक न मिलने से इस बार ठेकेदार आगे आयेंगे या नहीं इस तरह का डर व्यक्त हो रहा है.
- पिछले वर्ष के किल्लत प्रारुप के अनुसार किये गए कामों के देयक अदा करने के लिए सरकार के पास 9 करोड रुपए की निधि मांग का प्रस्ताव पेश किया. यह निधि सरकार की ओर से प्राप्त होते ही बकाया देयक अदा किये जाएंगे.
– राजेंद्र सावलकर,
कार्यकारी अभियंता, ग्रामीण जलापूर्ति विभाग