अमरावती

राज्य में 90 फीसद इलाकें पहले से ही ‘इको सेंसेटिव जोन’

1 किमी परिक्षेत्र में निर्माण कार्य पाबंदी पर अधिक परिणाम नहीं

अमरावती/दि.6- राज्य के 90 प्रतिशत संरक्षित जंगलों में इको सेंसेटिव जोन पहले से ही घोषित किए गए है. इस कारण 1 किमी परिक्षेत्र में निर्माण कार्य में अधिकृत छूट देने के निर्णय पर अधिक परिणाम नहीं होगा, ऐसा वन अभ्यासकों ने स्पष्ट किया है.
राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य व संरक्षित जंगल से 1 किमी दूरी तक निर्माण कार्य तथा आर्थिक प्रकल्प चलाने पर पाबंदी वाले पहले का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को शिथिल किया. इसके पूर्व देश के प्रत्येक संरक्षित जंगलों की निश्चित सीमा क्षेत्र के 1 किमी परिक्षेत्र में किसी भी तरह का पक्का निर्माण कार्य करने में 3 जून 2022 के आदेश के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय ने पाबंदी लगाई थी. इस आदेश पर केंद्र व केरल सरकार ने आपत्ति ली थी. सुधारित आदेश के मुताबिक दो अथवा अधिक राज्य की सीमा में आनेवाले संरक्षित जंगल क्षेत्र को इस पाबंदी से दूर रखा गया है. इसके कोई अपवाद छोडकर राज्य के इलाकों पर कोई असर नहीं पडेगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है. क्योंकि राज्य के राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य को इको सेंसेटिव जोन इसके पूर्व ही घोषित किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी ईएसझेड क्षेत्र में और क्षेत्र के बाहर भी नए प्रकल्प खडे करते समय नियमों का केंद्र व राज्य सरकार व्दारा पालन करने की बात स्पष्ट की है.
जंगल से 1 किमी परिक्षेत्र में निर्माण कार्य और आर्थिक प्रकल्प चलाने पर पाबंदी के पहले के आदेश को शिथिल किया रहा तो भी ग्रामीण इलाकों में इसका अधिक असर नहीं होगा. जंगल से सटकर कोई भी प्रकल्प निर्मित करते समय पर्यावरण विभाग की मंजूरी लगती है. उसे अब वन्यजीव विभाग की मंजूरी लेना आवश्यक है, ऐसा पूर्व वन अधिकारी गिरीश वशिष्ट ने कहा. रिसोड, बडे प्रकल्पों का निर्माण सहज संभव नहीं है, ऐसा भी उन्होंने कहा. लेकिन आगामी समय में राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव अभयारण्य इलाकों में इको सेंसेटिव जोन होने की दृष्टि से राज्य में गति धीमी पडेगी क्या ऐसा सवाल वरिष्ठ पर्यावरण अभ्यासक प्रा. सुरेश चोपणे ने व्यक्त किया.
* मुंबई, ठाणे, तुंगारेश्वर में पहले ही छूट
मुंबई के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, ठाणे क्रिक फ्लेमिंगो अभयारण्य, तुंगारेश्वर आदि शहर इलाकों के प्रकल्पों को मूल आदेश से छूट दी गई थी. इस कारण वहां के नागरिकों को इसका असर नहीं होता था.

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