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रोज चाहिए 90 यूनिट, जमा हो रहा 30 यूनिट रक्त

चुनाव और दिवाली के कारण हो रखे हैं शिविर बंद

* रक्तदान करनेवालों को समय पर बुलाया जा रहा
* ऑपरेशन और सर्जरी का करना पड रहा नियोजन
अमरावती/दि. 13 – अंबानगरी रक्तदाताओं की नगरी कहलाती है. जबकि प्रदेश के अन्य भागों की तरह अमरावती की दोनों शासकीय और निमशासकीय रक्तपेढी रक्त की कमी से जूझ रही है. इसके पीछे दिवाली के पहले से ही रक्तदान शिविरों के आयोजन की कमी बताई जा रही. वहीं ऑपरेशन और सर्जरी, सीजेरियन का नियोजन करना पड रहा है. अमरावती मंडल ने इर्विन रक्तपेढी के प्रमुख डॉ. आशीष वाघमारे से बात की तो उपरोक्त स्थिति सामने आई. ऐसी ही जानकारी पंजाबराव देशमुख मेडिकल कॉलेज अस्पताल की रक्तपेढी के इंचार्ज तायडे ने भी दी.
* रोज चाहिए 90 यूनिट रक्त
डॉ. वाघमारे और डॉ. तायडे दोनों ने बताया कि, अमरावती के अस्पतालों के बढते काम, ऑपरेशन, सर्जरी और दुर्घटनाओं की वजह से रोज 80-90 यूनिट ब्लड विविध ग्रुप की आवश्यकता होती है. जबकि फिलहाल मात्र 25-30 यूनिट स्वयंस्फूर्ति से जमा हो पाता है. ऐसे में निश्चित ही सरकारी अस्पताल रक्त की कमी महसूस कर रहे हैं.
* आयोजकों को कॉल
डॉ. वाघमारे ने बताया कि, रक्त की आवश्यकता होने पर ब्लड बैंक में वह उपलब्ध नहीं है, तो रक्तदान शिविर आयोजक संस्थाओं को कॉल किया जा रहा है. विशेषकर निगेटिव ब्लड ग्रुप रहने पर कॉल करना ही पडता है. डोनर आते हैं. रक्त देते हैं. उसकी जांच के बाद प्रक्रिया कर रक्त उपलब्ध करवाया जा रहा है.
* टेस्टींग को लगता समय
डॉ. वाघमारे ने बताया कि, स्टॉफ सीमित होने से और रक्त चढाने के मापदंड कडे रहने की वजह से संपूर्ण जांच के बाद ही ब्लड बैंक से रक्त इशू होता है. इसलिए टेस्टींग को समय लगता है. इसलिए रक्तदान शिविरों का आयोजन होना आवश्यक है. शिविर से एकत्र रक्त यूनिट जांच कर जरुरतमंद मरीजों को उपलब्ध कराना सहज होता है. अन्यथा एक-एक डोनर के लिए राह देखनी पडती है.
* निगेटिव ब्लड ग्रुप तुरंत उपलब्ध
रक्तदान समिति अमरावती के पदाधिकारी अजय दातेराव ने दो टूक कहा कि, अमरावती में निगेटिव और दुर्लभ रक्त समूह के डोनर उपलब्ध है. इसलिए निगेटिव रक्त समूह के डोनर जैसे ही कॉल की जाती है, उपलब्ध हो जाते हैं. यह स्वयंस्फूर्त डोनर होते हैं. इसलिए अमरावती में किसी भी प्रकार के रक्त की कमी आमतौर पर नहीं होती. विशेष कर इमर्जन्सी में आवश्यक रक्त समूह का रक्त जल्दी से जल्दी उपलब्ध करवाया जाता है. दातेराव ने कहा कि, किसी भी अस्पताल में कोई भी पेशंट हो, समिति से संपर्क करने पर पॉजिटिव या निगेटिव दोनों ही प्रकार के रक्त समूह के डोनर तैयार है. दातेराव ने यह भी बताया कि, परसों 15 दिसंबर से रक्तदान शिविरों का सिलसिला शुरु हो रहा है. परसों अशोक सोमाणी की स्मृति में समिति के अध्यक्ष महेंद्र भूतडा ने अपने निवास पर 38 वें रक्तदान शिविर का आयोजन किया है.
* डोनर भेजने कहना पडता है
निजी रक्तपेढी के इंचार्ज ने बताया कि, डोनर के लिए समय पर कहना पडता है. ऐसे में शिविर आयोजक संगठनों से संपर्क किया जा रहा है. उन्होंने मान्य किया कि, निगेटिव समूह के रक्तदाता आसानी से नहीं मिलते. उसी प्रकार एक रक्तदान के बाद दूसरे में तीन माह की गैप होना आवश्यक है.

 

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