अमरावतीमहाराष्ट्र

एक साल दौरान जिले में 900 लोगों ने की आत्महत्या

आत्महत्या करने वालों में पुरुषों का प्रमाण अधिक

अमरावती/दि.9– जिले में विगत एक वर्ष के दौरान 1202 आकस्मिक मौतों की जानकारी दर्ज की गई. जिसमें से 900 मौतें आत्महत्या की वजह से हुई है. आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या 70 फीसद के आसपास रही. वहीं आत्महत्या करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 30 फीसद के आसपास रहा. यानि कुल मिलाकर आत्महत्या करने वाले लोगों में पुरुषों का प्रमाण अधिक है. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, यदि पूरी दुनिया में आत्महत्या करने वाले की संख्या को देखा जाये, तो आत्महत्या करने वाले लोगों में पुरुषों का ही प्रमाण अधिक पाया जाता है.
इस संदर्भ में वर्ष 2024 के आंकडों के मुताबिक 30 से 35 वर्ष आयु गुट वाले लोगों में आत्महत्या करने का प्रमाण अधिक है. इसके अलावा 18 से 30 वर्ष तथा 45 से 60 वर्ष आयु गुट वाले लोगों में भी आत्महत्या करने का प्रमाण अच्छा खासा है. साथ ही साथ कई बुजुर्ग भी फसलों की बर्बादी व बीमारी की तकलीफ की वजह से आत्महत्या कर लेते है, ऐसा पुलिस का निरीक्षण है. विगत 2 दशकों के आंकडों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, अमरावती जिले में हुई प्रति 10 आत्महत्याओं में 6 से 7 मामलों में पुरुषों द्वारा आत्महत्या की गई है.

* कोरोना के बाद बढे मामले
कोविड काल के दौरान लॉकडाउन की वजह से कई लोगों का रोजगार चला गया है. ऐसे में अनेकों लोग हैरान परेशान तथा हताश व निराश हो गये है. उसके बाद कई लोगों ने कर्ज निकालकर और अपनी खेतीबाडी बेचकर दोबारा अपने पैरों पर खडे रहने का प्रयास किया. लेकिन इसमें कई लोग असफल रहे. जिसके चलते कोविड काल के बाद आत्महत्याओं का प्रमाण काफी हद तक बढ गया.

* क्या है कारण?
प्रत्येक व्यक्ति की आत्महत्या के पीछे बेहद अलग-अलग कारण होते है. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक डिप्रेशन व तनाव की वजह से आत्महत्याएं अधिक होती है. कई बार इसके पीछे कुछ वैद्यकीय वजह भी रहती है. साथ ही कुछ घरेलू समस्याओं और बीमारी की वजह से होने वाली तकलीफ के चलते भी लोग आत्मघाती कदम उठा लेते है.

* पुरुषों की संख्या अधिक क्यों?
विगत 5 वर्षों के दौरान किसानों व अन्य नागरिकों द्वारा की गई आत्महत्याओं के आंकडे देखने पर पता चलता है कि, आत्महत्या करने वालों में पुरुषों का प्रमाण अधिक है. अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाने और परिवार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाने से उपजी हताशा पुरुषों द्वारा आत्मघाती कदम उठाये जाने के पीछे सबसे प्रमुख वजह होती है.

* विगत तीन माह में 200 आत्महत्याएं
जिले के 31 पुलिस थानों में वर्ष 2024 के दौरान 1202 आकस्मिक मौत के मामले दर्ज किये गये है. जिसमें 900 से अधिक मामले आत्महत्या से संबंधित रहे. जिसके तहत इन 900 लोगों ने फांसी लेकर, किटनाशक गटककर, रेल्वे से कटकर तथा तालाब, कुएं या बांध में कूदकर आत्महत्या की. वहीं जारी वर्ष में 1 जनवरी से 9 अप्रैल की कालावधि के दौरान 250 आकस्मिक मौत के मामले दर्ज हुए है. जिसमें 200 से अधिक मामले आत्महत्याओं के है. ऐसे में माना जा सकता है कि, आत्महत्या को लेकर स्थिति दिनोंदिन विकट होती जा रही है.
* इन दिनों जीवन बेहद आपाधापी वाला हो गया है और जीवन में दौडभाग काफी अधिक बढ गई है. जिसका सीधा असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड रहा है. लेकिन लोगों के पास अपने मानसिक स्वास्थ्य का संतुलन बनाए रखने के लिए समय ही नहीं है और लोगबाग इसकी ओर ध्यान भी नहीं देते. परंतु लगातार बढती आपाधापी व दौडभाग के बीच सबसे आगे निकलने की होड में हताशा व निराशा कब हमारे भीतर जगह बना लेती है. इसका पता ही नहीं चलता और फिर जब हताशा व निराशा सहित अवसाद का प्रमाण बढ जाता है, तब व्यक्ति अपने आप आत्मघाती कदम की ओर बढता है. कई बार परिवार की ओर से दिखाई जाने वाली असंवेदनशीलता, कार्यालयीन कामकाज का बोझ, अत्याधिक काम की वजह से होने वाले तनाव, मानसिक बीमारी, व्यसन व कर्ज जैसी वजहों के चलते भी लोगबाग आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है, यह समस्या दिनोंदिन बेहद गंभीर होती जा रही है. जिसकी ओर समय रहते ध्यान दिया जाना चाहिए. क्योंकि ऐसी घटनाओं का प्रमाण दिनोंदिन बढ रहा है. अत: इसे बेहद गंभीरता से लिये जाने की जरुरत है.
– अमिता दुबे,
क्लिनीकल साइकोलॉजीस्ट व साइकोथेरेपिस्ट,
संचालिका, अस्तित्व परामर्श केंद्र.

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