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शहरी और ग्रामीण इलाकों में 96 जल नमूने दूषित

जिप के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उपाययोजना के निर्देश

अमरावती/दि.26- मानसून की पृष्ठभूमि पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हर गांव के पानी के नमूनो की जांच कर आवश्यक सावधानी बरतने की सूचना दी जा रही है. बारिश के दिनों में भारी मात्रा में जल दूषित होता है. लेकिन जिले में बारिश शुरु होते ही गत जून माह में 1623 नमूनो की जांच में ग्रामीण इलाको के 23 और 73 शहरी इलाको के ऐसे 96 जल नमूने दूषित पाए गए हैं.
ग्रामीण इलाकों के नागरिकों को आपूर्ति होने वाले पानी के नमूने हर माह जल सुरक्षक के जरिए जांच किए जाते है. जल सुरक्षक नियमित रुप से पानी के नमूने लेकर प्रत्येक तहसील में रहनेवाले भूजल सर्वेक्षण विभाग की प्रयोगशाला समेत पब्लिक हैल्थ लैब के पास जांच के लिए जमा किए जाते है. पश्चात आनेवाली जांच रिपोर्ट की जानकारी जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग को प्रस्तुत की जाती है. ग्रामीण इलाको में पेयजल, उस पानी के स्त्रोत दूषित न होने के लिए प्रयास किए जाते है. जल शुद्धिकरण के लिए नियमित ब्लिचिंग पावडर का इस्तेमाल कर पानी में 20 फीसद से कम क्लोरिन रहा तो पीने के लिए उचित नहीं है, ऐसा माना जाता है. विशेषकर बारिश के मौसम में नया पानी आने पर पानी दूषित होता है. जून माह से बारिश ही कम रहने के बावजूद 1623 में से शहर और ग्रामीण इलाकों के 96 नमूने दूषित पाए गए हैं. इस कारण संबंधित ग्राम पंचायत को उपाययोजना करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग ने दिए है.

* ग्रापं को सूचना
दैनंदिन जल शुद्धिकरण के लिए ग्राम पंचायतों व्दारा टीसीएल पावडर का इस्तेमाल किया जाए, मच्छरों की उत्पत्ति वाले स्थल नष्ट करना, आवश्यक परिसरों में दवाई का छिडकाव, मच्छरों की उत्पत्ति वाले स्थानों पर गप्पी मच्छलियां छोडना तथा व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए मच्छरदानी, खिडकियों को जाली बैठाना और मच्छर प्रतिरोधक क्रीम इस्तेमाल बाबत जनजागरण करने की सूचना जलापूर्ति व स्वच्छता तथा जिला संक्रामक रोग अधिकारी ने दी है.

* आवश्यक सूचना ग्रापं को दी गई
जून माह में ग्रामीण और शहरी इलाको में 1623 जन नमूने जांच के लिए भेजे गए थे. इसमें से ग्रामीण इलाकों में 23 और शहरी इलाकों को 73 ऐसे कुल 96 जल नमूने दूषित पाए गए. इस बाबत आवश्यक सूचना और उपाययोजना ग्राम पंचायतों को दी गई है.
– डॉ. मनीषा सूर्यवंशी,
जिला संक्रामक रोग अधिकारी, जिप अमरावती

* बीमारी टालने के उपाय
पेयजल के टाकी की सफाई करना, खुले में रखे गए खाद्यपदार्थ न खाएं, हाथगाडी और खुले में बिक्री होनेवाले पदार्थ न खाएं, प्रत्येक नागरिक स्वच्छता का पालन करें, सर्दी, खांसी, बुखार, जुलाब आदि विकार होने पर समय पर उपचार लें, पेयजल उबालकर पीए, नागरिक अपने घर और आसपास का परिसर स्वच्छ रखें, घर के पानी के बर्तन सप्ताह में एक बार खाली कर उसकी अच्छी तरह धुलाई कर पूरा दिन सूखने दें और पश्चात उसका इस्तेमाल करें.

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