दो माह दौरान लम्पी डीसीज से जिले में 964 जानवरों की मौत
साढे 16 हजार जानवर आये बीमारी के संक्रमण की चपेट में
272 की स्थिति अब भी गंभीर, युध्दस्तर पर चल रहा इलाज
अमरावती- दि.20 विगत दो माह अमरावती जिले में जानवरों पर लम्पी स्कीन डीसीज नामक संक्रामक बीमारी का खतरा मंडरा रहा है और अब तक करीब 16 हजार 620 गौवंशिय जानवर इस बीमारी के संक्रमण की चपेट में आ चुके है. जिसमें से 964 जानवरों की मौत हो चुकी है. जिनमें 426 गाय, 430 बैल व 109 बछडों का समावेश रहा. वही अब भी 272 जानवरों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. ऐसे में पशुसंवर्धन विभाग द्वारा जानवरों को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाने हेतु युध्दस्तर पर प्रभावी कदम उठाये जा रहे है.
बता देें कि, अमरावती जिले के 1 हजार 567 गांवों में गाय, बैल, भैस व बछडों की अनुमानित संख्या 4 लाख 64 हजार 573 है. जिसमें से लम्पी स्कीन डीसीज के 3 हजार 263 जानवरों में सामान्य, 538 जानवरोें में मध्यम तथा 272 जानवरों में गंभीर लक्षण पाये गये है. वहीं जिले में इस संक्रामक बीमारी की वजह से रोजाना औसतन 3 जानवरों की मौत हो रही है. जिसके चलते विगत दो-ढाई माह के दौरान 964 जानवर दम तोड चुके है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती जिले में इस बीमारी के संक्रमण की शुरूआत आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र की धारणी व चिखलदरा तहसीलों से हुई थी. जिसके बाद महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित अचलपुर व चांदूर बाजार तहसील के भी कुछ गांवों में इस बीमारी का संक्रमण फैला. वही इस समय इस बीमारी का सर्वाधिक असर व कहर इन्हीं तहसीलों में देखा जा रहा है. बता दें कि, इस समय तक चिखलदरा में 171, धारणी में 171, अचलपुर में 130, अंजनगांव सूर्जी में 110, चांदूर बाजार में 97 जानवरों की लम्पी स्कीन डीसीज के चलते मौत हो चुकी है.
* युध्दस्तर पर चल रहा टीकाकरण अभियान
जिले में जानवरों के बीच तेजी से पांव पसार रही लम्पी स्कीन डीसीज के खतरे को देखते हुए इस संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए पशुसंवर्धन विभाग द्वारा समूचे जिले में युध्दस्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत सभी पशु वैद्यकीय दवाखानों व स्वास्थ्य केंद्रों में टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही तहसील एवं ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण शिबिर भी आयोजीत किये जा रहे है और पशुपालकों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने हेतु व्यापक स्तर पर जनजागृति अभियान भी चलाया जा रहा है.
* मनपा क्षेत्र में दो आयसोलेशन सेंटर प्रस्तावित
लम्पी स्कीन डीसीज के संक्रमण की चपेट में आनेवाले जानवरों को अन्य जानवरों से पूरी तरह अलग-थलग रखा जा रहा है, ताकि दूसरे जानवरों तक इस बीमारी का संक्रमण न पहुंच पाये. ऐसे में प्रशासन द्वारा शहर सहित जिले में कई स्थानों पर जानवरों के लिए आयसोलेशन सेंटर खोले जा रहे है और पशुपालकों से आवाहन किया जा रहा है कि, वे लम्पी से संक्रमित हो चुके अपने जानवरों को तबेले में रखने या बाहर खुला छोडने की बजाय अपने आसपास स्थित आयसोलेशन सेंटर में लाकर रखे, ताकि संक्रमित जानवरों का समूचित इलाज हो सके और उनकी वजह से अन्य जानवरों पर बीमारी का संक्रमण न पहुंचे. इसके तहत अमरावती मनपा क्षेत्र में रहाटगांव तथा छत्री तालाब परिसर में उपलब्ध मनपा की जमीन पर गोरक्षण संस्था की सहायता से दो आयसोलेशन सेंटर प्रस्तावित किये गये है.
* तहसीलनिहाय स्थिति
तहसील कुल जानवर संंक्रमित मौतें
अचलपुर 44,172 2,114 134
अमरावती 31,361 1,118 46
अंजनगांव सुर्जी 25,244 1,132 110
चांदूर बाजार 28,223 2,371 97
चांदूर रेल्वे 26,117 297 11
चिखलदरा 46,981 2,309 171
दर्यापुर 33,340 1,952 89
धारणी 51,261 2,195 171
मोर्शी 34,902 909 31
नांदगांव खंडे. 30,189 773 38
तिवसा 23,642 246 08
वरूड 36,840 397 20
धामणगांव रेल्वे 31,276 128 02
भातकुली 21,025 609 36
कुल 4,64,873 16,620 964
* शहर में सडकों पर घुम रहे लम्पी के लक्षणवाले जानवर
– अन्य जानवरों में संक्रमण फैलने का खतरा गहराया
जहां एक ओर पशु संवर्धन विभाग द्वारा लम्पी स्कीन डीसीज की महामारी को नियंत्रण में रखने हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाये जा रहे है. वहीं दूसरी ओर कई पशुपालक इस बीमारी को लेकर स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए तैयार नहीं है. प्रशासन द्वारा लम्पी की बीमारी का लक्षण रहनेवाले जानवरों को सबसे अलग-थलग बांधकर रखने हेतु कहा गया है, लेकिन कई पशुपालक ऐसा करने की बजाय अपने लम्पी प्रभावित जानवरों को सडकों पर खुला करते हुए आवारा छोड दिया जाता है, ताकि उनके अपने जानवर इस बीमारी के संक्रमण से बचे रह सके, लेकिन उनकी इस हरकत की वजह से शहर में सडकों पर घुमनेवाले अन्य जानवर इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है. अमरावती मनपा क्षेत्र में आवारा पकडे गये करीब 70 से 80 गाय, भैस व बैल जैसे जानवरों में लम्पी स्कीन डीसीज बीमारी के लक्षण पाये जा चुके है. ऐसे जानवरों का मनपा के पशु शल्य विभाग द्वारा इलाज किया गया. साथ ही सभी पशुपालकों के नाम सख्त ताकीद जारी की गई थी कि, वे अपने जानवरों को सडकों पर खुला न छोडे.