* हाथीरोग विभाग व्दारा हर तहसील में अभियान चलाकर किया जाता है जनजागरण
अमरावती/दि.14- कोरोनाकाल में अनेक बीमारियों की तरफ अनदेखी रही. उसमें हाथीरोग का भी समावेश है. यह एक लंबे समय की बीमारी है जो विशेष तरह के मच्छर से होती है. हाथीरोग के निर्मूल के लिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग व्दारा कमर कसी गई है. इसके लिए अमरावती जिले में भी जोरदार अभियान शुरु है. जिले में हाथीरोग विभाग की जानकारी के मुताबिक 981 मरीज है. इस वर्ष जनवरी माह से 30 जून तक 50498 नमूनो की जांच में दो हाथीरोग के मरीज पाए गए हैं. इस बीमारी का फैलाव रोकने के लिए संबंधित विभाग व्दारा अभियान चलाकर हर तहसीलों में जनजागरण किया जा रहा है.
हाथीरोग यह माइक्रोफालेरिया नामक सूक्ष्म जंतुओ से होता है. इसका प्रसार मच्छर के जरिए होता है. हाथ, पैर पर सूजन आकर कायम की विद्रुपता आती है. इस बीमारी में जंतु वाहक अवस्था, दाहक अवस्था दिखाई देती है. हाथीरोग यह मलेरिया के बाद स्वास्थ्य की एक प्रमुख समस्या है. क्यूलेक्स मच्छर (मादा) के काटने से यह रोग होता है. अधिकतर इसके मरीज गलीच्छ बस्तियों में पाए जाते हैं. जहां गटर का दूषित पानी जमा रहता है, वहीं माइक्रोफाइलेरिया जंतु रहते है जो अंडे देते हैं. यह मच्छर किसी को काटने के बाद चट्टे जैसा जख्म होता है और तब आवश्यक इलाज न करने अथवा अनदेखी किए जाने से यह बीमारी बढती जाती है. जो लंबे समय तक रहती है. अमरावती जिले में हाथीरोग के 981 मरीज है. हाथीरोग कार्यालय व्दारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिले में इन मरीजों की संख्या वर्ष 1983 से है. इस बीमारी को रोकने के लिए संबंधित विभाग की तरफ से 3 डीईसी गोली दी जाती है जो नमक के स्वाद की तरह रहती है और इस दवाई का असर 1 वर्ष तक रहता है. कोई संदिग्ध मरीज पाए जाने पर उसे यह डीईसी गोली दी जाती है. जिससे हाथीरोग नियंत्रित हो जाता है. अमरावती जिले में सर्वाधिक मरीज तिवसा, धामणगांव, चांदूर रेलवे, मोर्शी और वरुड तहसील में है. हाथीरोग अधिकारी डॉ. सैय्यद जुनैद फैसल के मुताबिक इस वर्ष जनवरी माह से 30 जून तक जिले में 50498 नमूनों की जांच करने पर केवल 2 मरीज हाथीरोग के पाए गए है. यह दोनों मरीज चांदूर रेलवे तहसील के निंभा और धामणगांव रेलवे तहसील के कासारखेड ग्राम के है.
* हाथीरोग मरीजों की गांवनिहाय संख्या
जानकारी के मुताबिक तहसील व गांव निहाय हाथीरोग मरीजों की संख्या चांदूर रेलवे में 62, धामणगांव रेलवे में 80, तलेगांव दशासर में 60, कुर्हा 102, तिवसा 89, नेरपिंगलाई 103, मोर्शी 77, बेनोडा 56, वरुड 108, शेंदुरजनाघाट 89, वलगांव 52, तलवेल 67 और नांदगांव खंडेश्वर में 36 मरीज है.
* जिले में उपपथक चलाता है मुहिम
हाथीरोग अधिकारी डॉ. सैय्यद जुनैद फैसल के मुताबिक अमरावती जिले में वरुड, तिवसा, चांदूर रेलवे, मोर्शी, धामणगांव रेलवे और नांदगांव खंडेश्वर तहसील में उनके उपपथक है. जो हाथीरोग नियंत्रण के लिए लगातार जांच मुहिम चलाते रहते है. संदिग्ध मरीज पाए जाने पर उनके नमूनों की जांच करने के बाद यदि वह पॉजीटिव पाए जाते है तो तत्काल उपचार शुरु किया जाता है और इस रोग को बढने से रोकने के प्रयास किए जाते हैं.
* कैसे होता है हाथीरोग
क्यूलेक्स क्यूकीफेशीयटस नामक मच्छर से इसका प्रसार होता है. यह मच्छर रात को काटनेवाला कीटक है. रात को काटत समय रक्त के साथ माइक्रोफाइलेरिया मच्छर का पेट में प्रवेश होता है. कुछ घंटे में माइक्रोफाइलेरिया का आवरण गिरता है. जो छाती के स्नायू में प्रवेश करता है और वहीं उसकी वृद्धि होती है. मादा मच्छर का शरीर में प्रवेश करने के बाद दो दिन में इल्ली की पहली अवस्था एल-1 मिलती है. आकार बशी के जैसा, बारिक दुम और उसकी हलचल बिल्कुल नहीं रहती. मादा मच्छर के शरीर में 3 से 7 दिन में दूसरी अवस्था एल-टी तैयार होती है. इसमें थोडी बहुत हलचल रहती है. मादा मच्छर के शरीर में 10 से 14 दिनों में इल्ली की तीन अवस्था उष्णता और आर्द्रता अनुकूल रहने पर तैयार होती है. इसे ही विषारी इल्ली कहते हैं. यह विषारी इल्ली मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने के बाद रसग्रंथी में रहती है और वहीं उसकी वृद्धि होती है. यह कालावधि 18 माह रहती है. इस कालावधि में नर और मादा का मिलन होता और छोटे बच्चों को जन्म देती है इसे ही माइक्रोफाइलेरिया कहते हैं. यही वापस मच्छरों में प्रवेश करती है और विषार इल्ली होती है. यह इल्ली मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर उसे रोगी बनाती है.
* हाथीरोग के लक्षण
बार-बार हाथीरोग के अटैक आकर हाथ-पैर में सूजन, अंड वृद्धि होती रहते अनदेखी होने पर औषधोपचार न करने पर यह अवस्था आती है. चमडी जाडी होती है और सूजन को दबाने पर गढ्ढा नहीं होता. औषधोपचार करने पर भी सूजन कम नहीं होती और कायम की विद्रुपता आती है.
* जिले में इन अधिकारियों व्दारा जनजागरण
अमरावती जिले में हाथीरोग अधिकारी डॉ. सैय्यद जुनैद फैसल के साथ हाथीरोग कार्यालय के प्रवीण चकुले, विजय तोंडरे, श्रुति सव्वालाखे, निवेदिता झटाले, आशीष कांडलकर और विशाखा हिंगडे आदि जिले के उपविभाग दल के साथ पूर्ण वर्ष हाथीरोग के नियंत्रण के लिए अभियान चलाते रहते हैं.
* वर्ष 2024-25 में जिला हाथीरोग मुक्त होगा
अमरावती जिले में जो 981 मरीज हाथीरोग के है वह 1983 से है. इस वर्ष अब तक दो मरीज पाए गए हैं. हमारा लक्ष्य वर्ष 2024-25 में जिले को हाथीरोग मुक्त करना है. यह रोग जिले के पूर्व विभाग में अधिक है. इस कारण हमारा ध्यान उस क्षेत्र में ज्यादा है. मेलघाट के चिखलदारा और धारणी तहसील में यह बीमारी नहीं है.
– डॉ. सैय्यद जुनैद फैसल,
हाथीरोग अधिकारी, अमरावती