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धारणी की महिला के पेट से 25 किलो का गोला निकाला

सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में सफल ऑपरेशन

* 35 साल की खटनार निवासी महिला को पीडा से मुक्ति
* डॉ. भावना सोनटक्के ने सफल की कैंसर सर्जरी
अमरावती/ दि. 22-धारणी तहसील के खटनार ग्राम की 35 वर्ष की महिला को असहय पीडा से छुटकारा देने के साथ ही विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल के निष्णांत चिकित्सकों ने महिला को मानो नया जीवन भी प्रदान किया है. डॉ. भावना सोनटक्के ने कैंसर सर्जरी सफल की है. महिला गत 8- 9 माह से पीडा से परेशान थी. चिकित्सकों ने बताया कि सर्जरी बडी जटिल थी.् किंतु उसे सफल किया गया. गोला पूर्ण रूप से सावधानी पूर्वक निकाला गया. जिससे शरीर के अन्य भागों मेंं उसे फैलने से रोका गया.
* तीन संतानों की मां
विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल में उपचार के लिए पहुंची महिला को 3 संतानें है. गत कुछ माह से उनका पेट दर्द बढता जा रहा था. उसी प्रकार उनका पेट और कमर का घेरा लगातार बढ रहा था. उनके पेट में पानी भर जाने की आशंका से उपचार किया गया. किंतु पेट से पानी नहीं निकला और उनकी तकलीफ लगातार बढ रही थी.
* सांस लेना दूभर
मरीज महिला का पेट सतत बढते गया. उन्हें पीडा भी खूब होती. सांस लेना भी मुश्किल हो गया था. खाना पीना बंद हो गया था. जिससे बगैर खान पान के भी उनका वजन बढता जा रहा था. ऐसे में शरीर में कमजोरी आ गई. खून की कमी हो गई. पैदल चलना पीडादायक हो गया था. जिससे कैंसर विशेषज्ञ डॉ. भावना सोनटक्के ने जांच करते ही उनके पेट में बडी गांठ होने का निदान किया.
* दुष्कर और कठिन सर्जरी
डॉ. सोनटक्के ने देखा कि यह गांठ पेट में फैल गई है. आंतडियों, फैफडे, किडनी व अन्य अवयव को दबा रही है. रूग्ण का बैठना और सोना भी मुश्किल हो गया था. डॉ. सोनटक्के ने सिटी स्कैन कर शस्त्रक्रिया का निर्णय किया. 4 घंटे चले ऑपरेशन में डॉक्टर्स को काफी सावधानी बरतनी पडी. 24.4 किलो की कैंसर की गांठ निकालने के लिए गर्भाशय, द्बितीय अंडाशय, पेट की चर्बी का पर्दा और ग्रंथी निकालकर ऑपरेशन कर पेरीटोनियम के टुकडे भी लिए गये. वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे ने बताया कि मरीज को महात्मा फुले जन स्वास्थ्य योजना का लाभ दिया गया. पूरा ऑपरेशन, उपचार नि:शुल्क किया गया. विशेष कार्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे के मार्गदर्शन में आंको लॉजिस्ट डॉ. सोनटक्केे ने शस्त्रक्रिया सफल की. भूलतज्ञ डॉ. सचिन गोंडाने, डॉ. चेतन देउलकर, ओटी इंचार्ज बिल्कीस सिस्टर, डॉ. माधव धोपरे, शीतल बोंडे, कोमल खाडे, जया वाघमारे, अपेक्षा वाघमारे, शंकर, गोविंद, लक्ष्मी का सहयोग रहा.

 

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