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प्रकल्पग्रस्त के संघर्ष की बडी विजय

कल अमरावती में 832 करोड मुआवजे का वितरण

* विधायक प्रताप अडसड का संगठन करेगा सत्कार
* अध्यक्ष मनोज चव्हाण की घोषणा और जानकारी
अमरावती/ दि.9 – विदर्भ बलीराजा प्रकल्प ग्रस्त संघर्ष संगठन ने मुआवजे के लिए अनेक वर्षो से शुरू संघर्ष को बडी सफलता मिलने का दावा कर कहा कि राज्य की महायुति सरकार प्रकल्पग्रस्तों को 832 करोड रूपए देने राजी हो गई है. 16633 हेक्टेयर जमीन के बदले प्रत्येक प्रकल्पग्रस्त को 5 लाख रूपए हेक्टेयर के रेट से मोबदला दिए जाने का शुभारंभ कल 10 अप्रैल को सुबह 11 बजे ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में आयोजित कार्यक्रम में होने जा रहा है. यह जानकारी अध्यक्ष मनोज चव्हाण ने आज दोपहर आयोजित प्रेस वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि विदर्भ के 200 से अधिक प्रकल्पों के 65 हजार से अधिक प्रभावित परिवारों को राहत मिलने जा रही है. उन्होंने बताया कि समारोह में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के साथ ही विदर्भ के मंत्री संजय राठोड , अशोक उईके, आकाश फुंडकर, इंद्रनील नाइक और सभी विधायक मौजूद रहेंगे.
प्रताप अडसड का सत्कार
चव्हाण ने बताया कि 2023 के नागपुर शीतसत्र पर प्रकल्पग्रस्तों का पैदल लांगमार्च ले जाया गया था. उसकी विधायक प्रताप अडसड के प्रयासों से तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने दखल ली. अडसड के प्रयत्नों से शासन का जल संपदा विभाग प्रकल्प प्रभावितों को मुआवजा देने राजी हो गया. अत: कल के कार्यक्रम में प्रताप अडसड का विशेष सत्कार किया जायेगा.
24 सितंबर का दिन ऐतिहासिक
मनोज चव्हाण ने बताया कि प्रताप अडसड ने लगातार इस विषय पर फालोअप किया. जिससे देवेन्द्र फडणवीस ने नियामक मंडल की 85 वीं बैठक में 24 सितंबर 2024 को प्रकल्प ग्रस्तों की जमीन 5 लाख रूपए सानुग्रह अनुदान मंजूर किया. यह राशि 832 करोड होती है. जिसका प्रत्येक को वितरण शुभारंभ कल से होने जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मुआवजा प्रकल्प के लिए आवंटित राशि में से दिया जा रहा है. इस समय मनोज चव्हाण के साथ संगठन के सर्वश्री अजय भोयर, प्रशांत मुरादे, प्रा. नीलेश ठाकरे, मोहन गहुले, गौतम खंडारे, राजू लोनकर, अभय जैन, चंद्रशेखर सांगडे, दिलीप कदम, मनोज तंबाखे, सचिन ढवले आदि उपस्थित थे.

* सरकार नहीं कर रही प्रोपोगंंडा
मनोज चव्हाण ने प्रकल्प ग्रस्तों को 832 करोड वितरण का कार्यक्रम संघर्ष संगठन द्बारा आयोजित किए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार इस बारे में बहुत पब्लिसिटी अथवा प्रोपोगंडा नहीं कर रही है. इसका जवाब सरकार ही दे सकती है. उन्होंने कहा कि वे प्रकल्पग्रस्तों को मुआवजा दिलाने की बात पर हर्षित है. उन्होंने कहा कि 6 जून 2006 को तत्कालीन सरकार के काले जीआर की वजह से किसानों की जमीनें कौडी के मोल पर खरीदी कर ली गई थी. संगठन ने अनेक वर्षो तक संघर्ष किया. अब जाकर राज्य की महायुति सरकार ने न्याय किया है. उन्होंने बताया कि संगठन के सभी आंदोलनों के संदर्भ में दर्ज मामले भी खारिज कर दिए गये हैं. हाल ही में उन्होंने गाडगेनगर थाने में इसकी औपचारिकता पूर्ण की है.

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