एक अस्थि विसर्जन ऐसा भी….
पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे ने शुरु की अनूठी परंपरा
* अपने पिता की स्मृतियों व अस्थियों को किया संरक्षित
* पोटे कॉलेज में गड्डा खोदकर अस्थियां की गई विसर्जित
* अस्थि वाले गड्डे में किया गया पौधारोपण
अमरावती /दि.31- जिले के पूर्व पालकमंत्री व भाजपा शहराध्यक्ष प्रवीण पोटे पाटिल ने गत रोज अपने दिवंगत पिता रामचंद्र पोटे पाटिल का अंतिम संस्कार करने के उपरान्त आज सुबह हिंदू मोक्षधाम जाकर उनकी अस्थियों व चिता की राख को संकलित किया. जिसके उपरान्त उन्हें किसी नदी या जलस्त्रोत में लेकर विसर्जित करने की बजाय प्रवीण पोटे पाटिल ने दशक्रिया पूजन हेतु पांच फूल (अस्थियां) चुनने यानि अलग निकालने के बाद शेष अस्थियों व चिता की राख को पोटे शिक्षा संस्था परिसर में लाकर वहां बनाये गये एक गड्डे में विसर्जित किया. साथ ही उसी गड्डे में एक पौधें का रोपण भी किया गया, ताकि पोटे शिक्षा संस्था का आधारस्तंभ रहने वाले स्व. रामचंद्र पोटे की स्मृतियों को संस्था परिसर में ही जीवित व संरक्षित रखा जा सके.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए पूर्व विधायक व भाजपा शहराध्यक्ष प्रवीण पोटे पाटिल ने कहा कि, अमूमन सर्वसामान्य लोगों द्वारा अपने किसी परिजन के दिवंगत हो जाने पर उनकी अस्थियों का विसर्जन किसी नदी अथवा बहते जलस्त्रोत में किया जाता है. लेकिन ऐसा करने की वजह से संबंधित नदियों का पानी दूषित होता है और जल प्रदूषित होने का खतरा भी रहता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने समाज के समक्ष एक आदर्श उदाहरण रखने के उद्देश्य से अपने पिता की अस्थिरक्षा को अपनी खुद की मिल्कियत रहने वाली जमीन में विसर्जित करने के बारे में सोचा और फिर उसी स्थान पर अपने पिता की स्मृति में वृक्षारोपण भी किया. यह वृक्ष उन्हें हमेशा अपने पिता की याद दिलाता रहेगा. इस नई परंपरा को समाज के सभी वर्गों द्वारा अमल में लाया जा सकता है. इस जरिए हर कोई जलप्रदूषण करने से बचते हुए अपने दिवंगत प्रियजनों की स्मृतियों को भी उनके अस्थि विसर्जन वाले स्थान पर वृक्षारोपण करते हुए जीवित एवं संरक्षित रख सकेगा.
पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटिल द्वारा उनके पिता के निधन व अंतिम संस्कार पश्चात अस्थि विसर्जन हेतु अमल में लाये गये इस तरीके की समाज में हर स्तर पर प्रशंसा हो रही है.