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वझ्झर मॉडल का अध्ययन करने शीघ्र केंद्र की टीम आएगी

अनिल बोंडे ने राज्यसभा में की थी मॉडल अपनाने की मांग

* शंकरबाबा पापलकर द्वारा दशकों से शुरु है दिव्यांग अनाथ बच्चों की सुश्रुषा
अमरावती/दि.10 – पद्मश्री शंकरबाबा पापलकर का राष्ट्रपति के हस्ते सम्मान होने के बाद अब उनके दिव्यांग अनाथ बच्चों की सुश्रुषा के वझ्झर मॉडल को अपनाने की राज्यसभा सदस्य डॉ. अनिल बोंडे की मांग को स्वीकार किया गया है. डॉ. बोंडे ने सदन में विषय उपस्थित किया था. अत: राज्यसभा सचिवालय के निर्देश पर केंद्र की सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की टीम अतिशीघ्र वझ्झर को भेंट देकर शंकरबाबा के आश्रम का अवलोकन करेगी. इस आश्रम के कामकाज को राष्ट्रीय स्तर पर अन्य भागों में भी अपनाने के इरादे से टीम को भेजा जा रहा है. यह विशेषज्ञ दल एक सप्ताह में अपना अहवाल सरकार को सौंपेगा.
* 18 वर्ष से कम आयु के दिव्यांगजन
शंकरबाबा पापलकर पिछले दो दशकों से अधिक समय से वझ्झर में अंबादासपंत वैद्य केंद्र चला रहे है. जहां 18 वर्ष से कम आयु के दिव्यांगजन लडके और लडकियां का पालन पोषण हो रहा है. उनकी पढाई-लिखाई की समुचित व्यवस्था पद्मश्री पापलकर ने की है. पापलकर इन सब बच्चों के पिता भी बने हैं. उनके कारज को ही मान्यता देते हुए पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया.
* सांसद बोंडे ने उठाया राज्यसभा में
सांसद अनिल बोंडे ने वझ्झर में जारी दिव्यांगजन के अद्भूत कार्यों को पूरे देश में अपनाने की मांग राज्यसभा में उपस्थित की थी. उन्होंने कहा था कि, मतिमंद और गतिमंद बालक, युवाओं का पालन पोषण किया जाता है. यह दिव्यांगजन निर्वहन के लिए पालकों पर निर्भर रहते है. लावारिस बच्चों के गतिमंद और मतिमंद होने पर उन्हें असामाजिक तत्व से जूझना पडता है. शंकरबाबा पापलकर ने बच्चों के पालन पोषण और पुनर्वास का निर्माण किया है. जिसका अवलोकन दिव्यांग विभाग के सचिव द्वारा करवाने का अनुरोध सांसद बोंडे ने सदन मेें किया था. उनकी इस मांग की दखल केंद्र सरकार ने ली है.
* यह आएंगे अवलोकन करने
सरकार के अंडर सचिव रामचरण मीणा ने आदेश दिया है. जिसके आधार पर नागपुर से सीआरसी के निदेशक, नैशनल ट्रस्ट के कार्यक्रम अधिकारी नवनीत कुमार, तुकाराम गायकवाड का दल वझ्झर आएगा. वहां के कामकाज का अवलोकन करेगा. इस बारे में गत 4 सितंबर को आदेश जारी हुआ है.

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