अमरावती

जिले में रोजाना हो रही एक किसान आत्महत्या

छह माह में जिले के 162 किसानों ने खुद लगाया मौत को गले

* आसमानी व सुलतानी संकट में फंसा है अन्नदाता किसान
अमरावती/दि.9- किसान आत्महत्याओं के लिहाज से लगभग कुख्यात हो चुके अमरावती जिले में लाख प्रयासों के बावजूद किसान आत्महत्याओं का सत्र रोके नहीं रूक रहा. जारी वर्ष के दौरान बीते छह माह में करीब 163 किसान आत्महत्याएं घटित हो चुकी है. जिससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि, आसमानी व सुलतानी संकट की वजह से जिले में रोजाना एक किसान द्वारा अपनी जान दी जा रही है.
बता दें कि, जिले में विगत वर्ष जून माह तक 155 किसानोें द्वारा आत्महत्या की गई थी. वहीं इस वर्ष जून माह तक 163 किसानों ने आत्महत्याएं की. जिसके तहत जनवरी माह में 29, फरवरी माह में 31, मार्च माह में 32, अप्रैल माह में 33, मई माह में 21 व जून माह में 17 किसान आत्महत्याएं हुई.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, गत वर्ष समूचे राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं अमरावती जिले में हुई थी. लेकिन इसके बावजूद सरकार एवं प्रशासन द्वारा कोई स्थायी उपाय नहीं किये गये. ऐसा आरोप किसानों द्वारा लगाते हुए कहा गया है कि, इससे पहले जिले के लिए मांग रहने के बावजूद भी बलीराजा संजीवनी प्रकल्प को पिछले पांच वर्षों से कोई मान्यता नहीं दी गई है. साथ ही धैर्य व संयम खो चुके किसानों का कोई समुपदेशन भी नहीं किया गया है. जिससे किसानों में निराशा लगातार बढती जा रही है.
ज्ञात रहे कि, फसलों की बर्बादी, अनियमित बारिश व प्राकृतिक आपदा के चलते किसान लगातार आर्थिक रूप टूटते जा रहे है और उन्हें अपने बच्चों की पढाई-लिखाई, शादी-ब्याह आदि कामों के लिए बैंकों सहित निजी साहूकारों से कर्ज लेना पडता है. लेकिन बाद में कर्ज की अदायगी करना मुश्किल हो जाता है और आर्थिक दुष्टचक्र में फंसे किसानों द्वारा जीवन से तंग आकर आत्महत्या की राह को चुन लिया जाता है. किंतु मरने के बाद भी लालफीताशाही जैसी दुश्वारियां किसानोें का पीछा नहीं छोडती. इस वर्ष हुई 163 किसान आत्महत्याओं में से 10 मामलों को अपात्र घोषित कर दिया गया है. वहीं 88 मामलों को अब तक जांच के लिए प्रलंबित रखा गया है. जिसके चलते आरोप लगाया जा रहा है कि, किसान आत्महत्याओं को लेेकर सरकार एवं प्रशासन कतई गंभीर नहीं है.

* सन 2016 में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं
जिले में सन 2016 में सर्वाधिक 349 किसान आत्महत्याएं हुई थी व सबसे कम 11 किसान आत्महत्याएं सन 2001 में हुई थी. हालांकि उस समय किसान आत्महत्याओं को लेकर कोई खास बवाल नहीं हुआ करता था. पश्चात जैसे-जैसे किसान आत्महत्याओं के मामले बढने लगे, तब सरकार ने इस पर उपाय योजना करने हेतु शेतकरी स्वावलंबी मिशन स्थापित किया. एवं इस मिशन के अध्यक्ष को राज्यमंत्री पद का दर्जा दिया गया. लेकिन इसके बावजूद किसान आत्महत्याओं को रोकने में यह मिशन भी असक्षम साबित हुआ है.

* जिले में अब तक 4,754 किसान कर चुके है आत्महत्या
अमरावती जिले में 1 जनवरी 2001 से किसान आत्महत्याओं के मामले जिलाधीश कार्यालय के जरिये अधिकारिक तौर पर दर्ज किये जाने की शुरूआत हुई और तब से लेकर 30 जून 2022 तक करीब 4 हजार 754 किसानों द्वारा विविध कारणों के चलते आत्महत्याएं की जा चुकी है. इसमें से केवल 2 हजार 286 मामलों में ही सरकार द्वारा मृतक किसानों के परिजनों को सरकारी सहायता हेतु पात्र मानते हुए आर्थिक सहायता प्रदान की गई है. वहीं 2 हजार 380 मामलों को सहायता के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया.

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