अमरावतीमहाराष्ट्र

सावंगा विठोबा में गुढीपाडवा पर उमडा अपार जनसागर

लाखों रुपयों का कपूर जलाया गया, राज्य के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालु

अमरावती /दि.31– समिपस्थ चांदुर रेलवे तहसील अंतर्गत सावंगा विठोबा में गुढी पाडवा के मुहूर्त पर अवधूतबुवा उर्फ कृष्णाजी महाराज की समाधि के समक्ष नतमस्तक होने हेतु राज्य के सभी क्षेत्रों से लाखों भाविकों द्वारा गत रोज सावंगा विठोबा स्थित अवधूतबुवा संस्थान में हाजिरी लगाई गई. जहां पर लाखों रुपयों का कपूर जलाकर अवधूतबुवा उर्फ कृष्णाजी महाराज का स्मरण किया गया. साथ ही इस दौरान 72 फीट उंचे सागौन के खंबो पर नया वस्त्र चढाने की प्रक्रिया भी पूर्ण की गई. जिसे हर कोई सांस रोककर देख रहा था.
बता दें कि, सावंगा विठोबा यह संत कृष्णाजी महाराज उर्फ अवधूतबुवा का देवस्थान है. जहां गुढीपाडवा के दिन भाविक श्रद्धालु अपने हाथों में कपूर लेकर मंदिर में स्थित संत कृष्णाजी महाराज के समाधि स्थल पर पहुंचते है और लाखों रुपयों का कपूर जलाते हुए कृष्णाजी अवधूत महाराज की समाधि का दर्शन लेकर अपनी मनोकामना के पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगते है. सालोसाल से चली आ रही इस परंपरा के तहत गत रोज चैत्र माह के पहले दिन यानी गुढीपाडवा के पर्ववाले दिन संत कृष्णाजी महाराज की समाधि का दर्शन करने हेतु दूरदराज से अनेकों भाविक सुबह से ही सावंगा विठोबा पहुंचना शुरु हो गए थे और तेज धूप व भीषण गर्मी की फिक्र किए बिना समाधि दर्शन हेतु कतार लगाकर खडे थे. इस समय कृष्णाजी महाराज के जयघोष से सावंगा विठोबा का पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा था. विशेष उल्लेखनीय है कि, यह यात्रा कपूर वाली यात्रा के तौर पर पूरे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है.

* 72 फीट उंचे झंडे पर चढाया गया नया खोल
कल दोपहर 5 बजे सावंगा विठोबा मंदिर संस्थान के प्रांगण में स्थित 72 फीट की उंचाई वाले दो खंबो से पुराना खोल उतारते हुए नया खोल चढाने की प्रक्रिया शुरु हुई. इन दोनों खंबो को ईश्वर एवं भक्त की समानता का प्रतिक माना जाता है. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का पालन करते हुए हभप चरणदास कांडलकर ने स्नान करते हुए नया शुभ्र वस्त्र पहना तथा श्री अवधूत महाराज की समाधि व गादी का दर्शन करने के उपरांत संस्थान अध्यक्ष पुंजाराम नेमाडे के चरणस्पर्श किए. जिसके उपरांत दोनों उंचे झंडों (खंबो) का विधिवत पूजन करते हुए चरणदास कांडलकर ने डोरी की सहायता से गांठ लगाते हुए पुरानी खोल को लपेटना शुरु किया और झंडों की चोटी पर पहुंचने के बाद पुरानी खोल को निकालकर नई खोल को झंडों पर पहनाना शुरु किया. जिसके बाद दोनों झंडों को नई खोल पहनाते हुए और झंडों पर गांठ लगाने हेतु बांधी गई डोरी को खोलते हुए कांडलकर नीचे उतरे. यह पूरी प्रक्रिया करीब दो घंटे में पूर्ण हुई और इस दौरान पारंपरिक झांझ व मृदंग के साथ ही अखंड अवधूती भजन की मांड जारी रही. साथ ही कई श्रद्धालु पूरे दो घंटे तक अपनी सांसे थामकर इस दृष्य को देखते रहे और एक ही स्थान पर खडे रहकर अपने हाथों खप्पर थामे हुए कपूर जलाते रहे.

* ग्रामीण पुलिस का रहा कडा बंदोबस्त
गुढीपाडवा के पर्व पर सावंगा विठोबा में हजारों-लाखों श्रद्धालुओं की उमडनेवाली भीड के मद्देनजर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल आनंद के निर्देश पर एसडीपीओ अनिल पवार ने 14 पुलिस अधिकारियों व 94 पुलिस कर्मियों के साथ ही दंगा नियंत्रक टीम व बम शोधक स्क्वॉड की सहायता से यात्रा में कडा बंदोबस्त लगा रखा था. साथ ही पुलिस कर्मियों एवं संस्थान के स्वयंसेवकों ने दर्शन हेतु मंदिर में भक्तों की कतारे लगाई, साथ ही पुलिस ने यातायात व पार्किंग व्यवस्था को संभाला तथा मंदिर प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरे के जरिए पूरे परिसर पर नजर रखी. इसके अलावा भाविक श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुचारु रखने हेतु अमरावती व चांदुर रेलवे बस डिपो ने सावंगा विठोबा के लिए बसों की अतिरिक्त फेरियां चलाई.

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