बहिरम में पहले ही पौष रविवार को उमडी जबर्दस्त भीड
मंदिर में भाविक श्रद्धालुओें की लगी लंबी-लंबी कतारे
चांदूर बाजार /दि.15- एक माह तक चलने वाली बजरंग यात्रा में कल पौष माह के पहले रविवार को ही भाविक श्रद्धालुओं की जबर्दस्त भीड उमडी और लगभग 75 हजार भाविक श्रद्धालुओं ने गत रोज बहिरम बाबा के दर्शन किये. इस जबर्दस्त भीडभाड के चलते कई अभिभावक व बच्चे तथा पति-पत्नी एक दूसरे से बिछड भी गये. जिन्हें खोजने में पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रबंधन को अच्छी खासी मशक्कत का सामना भी करना पडा. इस समय भीड में गुम हो जाने वाले लोगों के नाम व पते की जानकारी मंदिर व्यवस्थापन द्वारा माईक के जरिए सार्वजनिक की गई. जिसके चलते कई लोग दुबारा अपने परिवार से मिल पाये.
गत रोज बहिरम बाबा के दर्शन हेतु उमडी भीड के चलते मंदिर का पार्किंग स्थल सुबह-सुबह ही हाउसफुल हो गया था. जिसकी वजह से मंदिर के पार्किंग को सुबह 11 बजे ही बंद कर दिया गया. साथ ही परतवाडा बैतुल राष्ट्रीय महामार्ग से बहिरम की ओर जाने वाले भारी वाहनों को खरपी से करजगांव की ओर मोडा गया. जिसके अलावा बहिरम यात्रा परिसर में उमडी श्रद्धालुओं व यात्रियों की भारी भीड को ध्यान में रखते हुए यात्रा परिसर में कडा पुलिस बंदोबस्त लगाया गया था. कल पौष माह के पहले रविवार के चलते बहिरम यात्रा में भोजन देने वालों की संख्या अच्छी खासी रही. जिसकी वजह से पूरे परिसर में रोडगे तथा आलू बैगन की सब्जी की सुगंध महसूस हो रही थी.
* मंदिर की दर्शनबारी में तौबा भीड
बहिरम बाबा के दर्शन हेतु मंदिर में सुबह से ही दर्शनार्थियों की अच्छी खासी भीड जमने लगी थी. जिसके चलते दर्शन बारी देखते ही देखते हाउसफुल हो गई. जिसके बाद मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों की कतार लगानी पडी. इस समय दर्शनार्थियों द्वारा पूरा समय ‘जय श्री राम’ व ‘बहिरम बुवा की जय’ का उद्घोष किया जा रहा था.
* मन्नत का बकरा व झूले
बहिरम बाबा हर तरह की मनोकामना पूर्ण करते है, ऐसी उनके भक्तों में ख्याति है. जिसके चलते कई भाविक श्रद्धालू बहिरम बाबा के समक्ष मन्नत मांगते है और मनौति पूर्ण होने पर अपना संकल्प पूर्ण करते हुए भेंट व चढावा चढाते है. जिसके चलते कई भाविक श्रद्धालुओं ने बहिरम बाबा को चांदी के झूले अर्पित किये. साथ ही एक भाविक भक्त ने अपनी श्रद्धा के चलते एक जिंदा बकरे को लाकर मंदिर परिसर के प्रांगण में छोड दिया. बता दें कि, कुद समय पहले तक मन्नत पूर्ण होने पर भक्तों द्वारा बहिरम मंदिर में बकरे की बली चढाने की प्रथा थी. परंतु कालांतर में इस अमानवीय प्रथा को बंद कर दिया गया.