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सरन्यायाधीश का एक प्रश्न और कोश्यारी अडचन में

सरकार गिराने में राज्यपाल मदद ना करें !

* आज सुको में शिंदे के वकीलों की आफत
दिल्ली/दि.15- महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष की सुनवाई में सुप्रिम कोर्ट में आज राज्य पाल की भूमिका को लेकर युक्तिवाद शुरु है. अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता ने राज्यपाल के निर्णय कैसे योग्य और नियमानुसार थे, यह कोर्ट में सिद्ध किया था. इस बार प्रधान न्यायाधीश डावाय चंद्रचूड ने राज्यपाल की भूमिका पर महत्वपूर्ण बयान दिय हैं. उन्होंने टिप्पणी की कि राज्यपाल को मर्यादा में रहकर कार्य करना चाहिए. सरकार गिराने में राज्यपाल मदद न करें. ऐसी बातों से राज्यपाल को दूर रहना चाहिए.
्र्रंप्रधान न्यायाधीश ने कहा कि, अपने नेता की भूमिका पसंद नहीं रहने पर विधायकों के पास पर्याय था. वे पार्टी की नीति न अपनाने के कारण मतदान करवा सकते थे, किंतु इसमें राज्यपाल कैसे कह सकते है कि आप अभी बहुमत साबित कर सकते है क्या? राज्यपाल को कोई सरकार गिराने में सहायता नहीं करनी चाहिए. यह हमारे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है.
न्या. चंद्रचूड ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सुसंकृत और विकसित राज्य है. राजनीति में काफी कुछ कह दिया जाता है. कई बार ऐसी बातें कही जाती है जो अयोग्य रहती है, यह ध्यान में रखना चाहिए.
* एक रात में कैसे टूटा 3 साल का रिश्ता
लगभग 3 वर्षो तक सब कुछ बराबर चल रहा था. फिर एक ही रात में 3 साल के संबंध कैसे खत्म हो गए? ऐसा प्रश्न राज्यपाल व्दारा पूछा जाना चाहिए था. पहली बात यही कि सरकार कानूनन चुनी गई थी. दूसरी राज्यपाल स्वयं कानून विद के रुप में कैसे रह सकते है? न्या. चंद्रचूड ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची का उल्लंघन हुआ है, यह वे कैसे तय कर सकते है?
* राज्यपाल कहां गलत
प्रधान न्यायाधीश ने राज्यपाल कहां चूक कर गए, यह भी बतलाया. दो महत्वपूर्ण बातों पर राज्यपाल ने ध्यान नहीं दिया. पहला कांग्रेस और राकांपा के संबंध अच्छे है. उनमें कोई भी अंतर्गत मतभेद नहीं थे. कांग्रेस के 44 और राकांपा के 53 ऐसे आंकडा 97 हो जाता है जो एक बडा आंकडा है. दूसरी गडबडी की बात शिवसेना के 56 में से 34 में अलग भूमिका अपना ली. शिवसेना-भाजपा मिलकर सरकार स्थापित कर सकती है ऐसी कोई सूचना राज्यपाल को नहीं मिली थी.
* मेहता पर दागे अनेक प्रश्न
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ सुनवाई कर रही है. जिसमें न्या. एमआर शाह, न्या. कृष्ण मुरारी, न्या. हिमा कोहली और न्या. पीएस नरसिम्हा का समावेश है. राज्यपाल का पक्ष रख रहे तुषार मेहता को न्या. चंद्रचूड ने अनेक बार टोका. उनसे प्रश्न किए. जिस पर मेहता ने कहना चाहा कि, पहले उनका कहना पूर्ण होने दें, फिर प्रश्न करे. इस पर न्या. चंद्रचूड ने कहा कि, उन्हें कुछ प्रश्न सूझे हैं वह उसे पूछेंगे. आप अपना कहना जारी रखे.
* मेहता ने रखा पक्ष, चंद्रचूड का सवाल
तुषार मेहता ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने से पहले बहुमत सिद्ध करने के निर्देश राज्यपाल ने दिए. विधायकों व्दारा पार्टी आदेश के खिलाफ मतदान करने पर 10वें अनुच्छेद के अनुसार जो कार्रवाई होनी है, वह होगी किंतु राष्ट्रपति शासन का अंतिम निर्णय करने से पहले बहुमत परिक्षण जरुरी था. राज्यपाल ने यही किया. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि, शिवसेना में फूूट नहीं पडी. आपही शिवसेना है, ऐसा बारंबार कह रहे है. यदि वे भी शिवसेना के सदस्य है तो फिर सदन में बहुमत सिद्ध करने का सवाल ही नहीं उठता. न्या. चंद्रचूड के इस सवाल पर मेहता निरुत्तर हो गए.0

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