अमरावती

भारतीय भाषा में कथा मतलब संस्कृती का प्रतिबिंब – डॉ. मोना चिमोटे

विद्यापीठ में भारतीय भाषा दिन निमित्त विविध भारतीय भाषा के कथाओं का वाचन

अमरावती /दि.7 – नयी भाषा के साथ हमारे ज्ञान का दायरा बहुत ही भव्य हो जाता है. हम नयी भाषा सिखते है. तब केवल शब्द व व्याकरण को नहीं, बल्कि भाषा की नजर से दुनिया व मुख्य दुसरों की नजरों से खुद को देखना सिखते है. जिससे हम अपने दिखने वाले स्थान की परिसिमा व अपना परिप्रेक्ष्य बदलते है. यहां से मानव अधिक परिपक्व व समृध्द हो जाता है. ऐसा प्रतिपादन विभाग प्रमुख डॉ. मोना चिमोटे ने किया.वे संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के पदव्युत्तर मराठी विभाग व अनुवाद हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वधान में भारतीय भाषा दिन निमित्त’ विभिन्न भारतीय भाषा के कथा का वाचन’ कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण में बोल रही थी. इस समय मंच पर प्रमुख अतिथी के रुप में डॉ. हेमंत खडके, डॉ. छाया बडगे व डॉ. सुनिता बुंदेले उपस्थित थी.

महान तमिल कवी सुब्रमण्यम भारती की जयंती निमित्त 11 दिसंबर को भारतीय भाषा उत्सव मनाने हेतु केंद्र सरकार व्दारा सूचीत किया गया है. जिसके चलते भारतीय भाषा में सौहार्द निर्माण करने के लिए उच्च शिक्षण संस्था में ’भारतीय भाषा उत्सव’ करने का निर्देश विद्यापीठ अनुदान आयोग व्दारा (यूजीसी) देशभर के सभी विद्यापीठ, महाविद्यालय को दिया है. जिसके अनुसार इस कालावधी में भारतीय भाषा दिवस निमित्त विविध उपक्रम मनाया जा रहा है. भारतीय भाषा उत्सव मनाने के चलते पुनः एकबार राष्ट्रीय एकता दृढ होगी, ऐसा विश्वास शासन व्दारा व्यक्त किया गया है तथा नागरिकों को अपनी मातृभाषा पर प्रभुत्व मिलने, अन्य भाषा सिखने के लिए प्रेरित करने, भारतीय भाषा का अधिकाधिक उपयोग करने से शैक्षणिक, सांस्कृतिक व आर्थिक लाभ का प्रचार होने, अन्य भारतीय भाषा साहित्य का परिचय होने, भारतीय भाषा में तंत्र ज्ञान का इस्तेमाल करना यह भारतीय भाषा उत्सव का मुख्य उद्देश है. प्रमुख अतिथी के रुप में उपस्थित डॉ. हेमंत खडके ने अपने मनोगत से भारतीय भाषा उत्सव निमित्त विद्याथ्यार्थियों को विभिन्न भाषा में अनुवादित कथा का चयन के विषय व अभिवाचन बाबत समाधान किया. विभिन्न विषय-वस्तू की कहानियों माध्यम से प्रत्येक भाषा के लेखक की संवेदनशिलता का पता लगाया जा सकता है. विभिन्न पात्रों के माध्यम से मनुष्य को समझने की लेखक की चाहत पाठकों को आत्मविश्लेषणात्मक बनाती है. ऐसा डॉ. खडके ने कहा. इस समय गुजराती, बंगाली, तमिल, हिंदी, मल्यालम, पंजाबी या भाषा में अनुवादित कहानियों का भी वाचन किया गया. इस समय अभिजित इंगले, सारिका वनवे, वैष्णवी मुले, गायत्री मुले, आयुषी कार्लेकर, ऋषिकेश पाडर ने सहभाग लिया. कार्यक्रम में पदव्युत्तर मराठी विभाग के डॉ. माधव पुटवाड, डॉ. प्रणव कोलते सहित अनुवाद हिंदी विभाग के अंशदायी शिक्षक व दोनों विभाग के विद्यार्थी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन अभिजित इंगले ने किया.

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