तत्कालीन बेरार प्रांत में भूमि सर्वेक्षण के लिए किया जाता था 16 आने की संकल का इस्तेमाल
नापजोख के बाद भूमि के एकड व गुंठे निकाले जाते थे

अमरावती /दि 9– भूमि सर्वेक्षण के लिए पहले तत्कालीन बेरार प्रांत की 16 आने की एक संकल का इस्तेमाल किए जाने का तरीका था. उसी के आधार पर कच्चे नापजोख किेए जाते थे. नापजोख के पश्चात भूमि का एकड व गुंठे में क्षेत्रफल निकाला जाता था. उसके बाद अब हेक्टर व आर निकाला जाता है. भूमापन की पद्धति में अब जबरदस्त बदलाव हो गया है. अब संकल की बजाए रोवर व ड्रोन का इस्तमाल किया जाता है. जिससे घंटो का काम घंटो का काम मिनटो में किया जाता है.
इस विभाग का कामकाज कैसे चल रहा है. संगणकीय प्रक्रिया कैसी रहता है, इसको लेकर लोगों में उत्सुकता रहती है. इसकी वजह से विभाग सभी तहसीलस्तर पर इन सभी विषयो की जानकारी देकर नागरिकों की शंका का समाधान करेंगा. भूमि अभिलेख जिला अधीक्षक महेश शिंदे व उपसंचालक डॉ. लालसिंग मिसाल के मार्गदर्शन में यह अभिनव पहल क्रियान्वित की जा रही है.
* प्रत्येक जायदाद का नक्शा और पीआर कार्ड
प्रत्येक गांव की जायदाद का जीआयएस सर्वेक्षण और ड्रोन द्वारा गावठान का भूमापन स्वामित्व योजना पहले अस्तित्व में आई है. इसके जरिए संपत्ति, जमीन का सर्वेक्षण व भूमापन हो चुका है. गांवठान प्रणाली की प्रत्येक संपत्ति का नक्शा व जायदाद की जीआयएस बेस जायदाद पत्रिका तैयार कर दी गई है.
* अब अत्याधुनीक ड्रोन से होगा भूमापन
स्वामित्व योजना के तहत अब गावठाण सीमा की जायदाद का ड्रोन द्वारा भूमापन किया जा रहा है. जायदाद का नक्शा व उसकी पत्रिका उपलब्ध करवाई जा रही है. जिसकी वजह से सीमा अंतर्गत विवाद कम होगे और जायदाद का अभिलेख होने से नागरिकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
* नागरिकों को दी गई जानकारी
भूमापन दिवस के उपलक्ष में आज भूमि अभिलेख कार्यालय में विभाग के कामकाज व सुविधाओं की जानकारी नागरिकों को दी गई और नागरिकों की शंका का निवारण किया गया.
महेश शिंदे, जिला अधीक्षक,
भूमि अभिलेख.