राज्य के शिक्षकों पर और एक सर्वेक्षण के काम का बोझ
शालाबाह्य काम करें या बच्चों को पढाएं शिक्षक

अमरावती/दि.14 – निरक्षरों का सर्वेक्षण करने हेतु शिक्षा संचालक (योजना) द्वारा हाल ही में निर्देश जारी किए, परंतु शिक्षकों के पास पहले ही कई तरह के काम है और शालाबाह्य बच्चों का सर्वेक्षण करने के साथ ही अब निरक्षरों का सर्वेक्षण कैसे किया जाए, इस सवाल से सभी शिक्षक जूझ रहे है और इस लेकर प्रहार शिक्षक संगठन ने शिक्षा मंत्री से सवाल पूछने के साथ ही उन्हें ज्ञापन भी सौंपा है.
केंद्र सरकार ने निरक्षरों को साक्षर बनाने हेतु उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम शुरु किया है. जिसके तहत निरक्षरों का सर्वेक्षण किया जाता है और फिर उन्हें साक्षर बनाया जाता है. जिसके लिए महाराष्ट्र के शिक्षा संचालक (योजना) ने शालाबाह्य बच्चों का सर्वेक्षण करने के साथ ही निरक्षरों का सर्वेक्षण करने का आदेश शिक्षकों के नाम जारी किया है. इसके तहत शिक्षकों को निरक्षर व्यक्ति की जानकारी उल्लास मोबाइल ऐप पर दर्ज करनी होती है. साथ ही उनको पढाना भी होता है. राज्य की सभी शालाओं द्वारा दाखिला पात्र विद्यार्थी सर्वेक्षण व शालाबाह्य विद्यार्थी सर्वेक्षण के साथ ही निरक्षरों का भी सर्वेक्षण किया जाए, ऐसा इस निर्देश में कहा गया है. ऐसी जानकारी देते हुए प्रहार शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों का कहना रहा कि, कक्षा पांचवीं व आठवीं में अनुत्तीर्ण होनेवाले विद्यार्थियों की पुनर्परिक्षा लेने का भी सरकार का निर्देश है. साथ ही साथ शिक्षकों पर एक के बाद एक शालाबाह्य काम का बोज भी डाला जा रहा है. ऐसे में शिक्षकों द्वारा अपने विद्यार्थियों की पुनर्परिक्षा कब ली जाए यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
शिक्षा विभाग द्वारा इस बार समूचे राज्यभर में एकसमान परीक्षा का टाईम टेबल घोषित किए जाने के चलते 8 से 25 अप्रैल की कालावधि के दौरान पहली से नौवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा ली जा रही है. जिसके बाद महज 5 दिन के भीतर 1 करोड 17 लाख विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम भी घोषित करना है. इसके अलावा कक्षा पांचवीं व आठवीं में अनुत्तीर्ण होनेवाले विद्यार्थियों की पुनर्परिक्षा, उनके लिए स्वतंत्र वर्ग कक्षा एवं उपचारात्मक अध्ययन जैसे काम भी करने है. इसके साथ ही शिक्षकों पर शालाबाह्य विद्यार्थियों व निरक्षरों का सर्वेक्षण करने का काम भी थोपा जा रहा है. ऐसे में सबसे बडा सवाल है कि, शिक्षकों द्वारा एक ही समय पर इतने सारे कामों को कैसे किया जा सकेगा.
* शैक्षणिक गुणवत्ता दिनोंदिन क्यों घट रही है, इसे लेकर उपाययोजना करने की जरुरत रहते समय सरकार द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही है और शिक्षा विरोधी नीतियों का अवलंब किया जा रहा है. इस समय निपुण भारत उपक्रम, शालेय कामकाज व शालाबाह्य विद्यार्थियों के सर्वेक्षण के साथ ही निरक्षर व्यक्तियों का सर्वेक्षण करने जैसे काम शिक्षकों को सौंपे जा रहे है. ऐसे में शिक्षा दान के मूल उद्देश को परे रखकर इस तरह के काम सौंपते हुए सरकार क्या साध्य करना चाहती है, यह समझ से परे है. इसके खिलाफ प्रभावी तरीके से आवाज उठाई जाएगी.
– महेश ठाकरे
अध्यक्ष, प्रहार शिक्षक संगठन.