अमरावती

संतरे में एक टन यानी 11 क्विंटल का गणित

वायभार के नाम पर संतरा उत्पादकों की लूट

व्यापारी कर रहे मनमानी, प्रशासन ने उठाये हाथ
अमरावती-दि.25 गणितिय सिध्दांत के हिसाब से 100 किलो का एक क्विंटल और 10 क्विंटल का एक टन होता है. लेकिन संतरा व मोसंबी के व्यापार में 11 क्विंटल का एक टन ऐसा नया समीकरण विगत तीन-चार वर्षों से चलाया जा रहा है. जिसके तहत संतरा उत्पादक किसानों को एक टन यानी 10 क्विंटल फल केे पीछे 1 क्विंटल अतिरिक्त फल वायभार के नाम पर देने पडते है. और इस समीकरण के तहत व्यापारियों द्वारा किसानों को एक तरह से लूटा जा रहा है, लेकिन प्रशासन इस मामले में बिल्कुल भी ध्यान देने को तैयार नहीं है. ऐसे में किसानोें की यह लूट बदस्तुर जारी है.
बता दें कि, संतरा बागान में फलधारणा होने से लेकर फलों के पकने तक करीब 11 माह का समय लगता है. इस दौरान संतरा बागान और पेड पर लगे फुलों व फलों की ओर किसी बच्चे की तरह ध्यान देना पडता है. इसमें कई बार मौसम की अनियमितता और असमय बारिश सहित अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक विपत्तियों का भी सामना करना पडता है. इसके अलावा दिनोंदिन महंगे होते जा रहे रासायनिक खादों व कीटनाशकों सहित मजदूरी की बढती दरों की वजह से संतरा उत्पादक किसान हैरान-परेशान हो गये है. वही रही-सहीं कसर व्यापारियों द्वारा पूरी कर दी जा रही है. जिसके तहत 10 क्विंटल की बजाय 11 क्विंटल माल को 1 टन के रूप में खरीदा जा रहा है, यानी प्रत्येक 100 किलो के पीछे 10 किलो माल मुफ्त में लिया जा रहा है. यह 10 किलो के पीछे 1 किलो मुफ्त माल लेने की तरह है. जिसे संतरा व्यापारियों द्वारा वायभार का नाम दिया गया है.
उल्लेखनीय यह है कि, कई बार संतरा व्यापारियों द्वारा अपने संतरे का सौदा अपने ही बागान में किया जाता है. वहीं कई बार संतरा उत्पादक किसान अपनी उपज को फसल मंडी के मार्केट यार्ड लेकर पहुंचते है. लेकिन दोनों ही स्थानोें पर वायभारवाला समीकरण लागु रहता है. यानी वायभार से बचने का संतरा उत्पादकों के पास कोई जरिया नहीं है.

* छटाई के बाद वजन और भी कम
किसानों से वायभार के नाम पर 10 फीसद माल मुफ्त लेने के बाद भी छटाई करते हुए बारिक फलों को बाहर निकालकर फेंक दिया जाता है. वहीं दूसरी ओर फलों की खरीदी करते समय प्रत्येक टन के पीछे एक क्विंटल की कटौती करते हुए किसानों को रकम दी जाती है.

* कस्तुरी की याद हुई ताजा
किसी जमाने में आम खरीदते समय एक दर्जन आम के साथ एक आम मुफ्त डाला जाता था. इस तेरहवें आम को कस्तुरी कहा जाता था. लगभग इसी तर्ज पर इन दिनों 10 क्विंटल माल पर 1 क्विंटल माल की कस्तुरी मोर्शी-वरूड क्षेत्र के संतरा उत्पादकों से संतरा व्यापारियों द्वारा ली जा रही है, लेकिन यह कस्तुरी संतरा उत्पादकों पर काफी भारी पड रही है.

* 50 किलो से 1 क्विंटल हो गया वायभार
संतरा उत्पादकों को हमेशा से ही वजन से अधिक संतरे व्यापारियों को देने पडते रहे है. इससे पहले एक टन के पीछे 50 किलो संतरे वायभार के नाम पर देने पडते थे. जो आगे चलकर 75 किलो वजन तक पहुंचे और अब वायभार के नाम पर प्रति एक टन के पीछे एक क्विंटल माल मुफ्त देना पडता है. वायभार, कोलसी व बारिक फलों के नाम पर संतरा उत्पादकों से अतिरिक्त व मुफ्त संतरा लिया जाता है. जिसेे सीधे-सीधे संतरा उत्पादक किसानों की लूट कहा जा सकता है, लेकिन सबसे बडी समस्या यह है कि, आखिर इस लूट के खिलाफ किसान अपनी शिकायत किसके पास जाकर करे, क्योंकि सबकुछ मंडी पदाधिकारियों और प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी विगत अनेक वर्षों से चल रहे इस वायभार व्यवहार की ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है.

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