अमरावती विद्यापीठ में आदिवासी अध्यासन केंद्र होगा स्थापित
सिनेट सभा ने दी मान्यता, आदिवासियों का लुप्तप्राय: इतिहास होगा पुनर्जीवित
अमरावती /दि.14– संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ में जल्द ही आदिवासी अध्यासन केंद्र साकार किया जाएगा. हाल ही में संपन्न हुई सिनेट सभा में इस प्रस्ताव को मान्यता दी गई है. इसके चलते आगामी समय में राज्य के असल आदिवासियों का इतिहास पुनर्जीवित किया जाएगा. जिसका संशोधकों, इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों, मानववंश शास्त्रियों, समाजसेवकों, राजनेताओं, अनुसूचित जनजाति, पडताल समिति के साथ ही एमपीएससी व युपीएससी तथा आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को लाभ होगा.
अमरावती विद्यापीठ में विगत 31 अक्तूबर व 1 नवंबर को हुई सिनेट सभा में सिनेट सदस्य मयूरी जवंजाल ने आदिवासी अध्यासन केंद्र स्थापित करने से संबंधित प्रस्ताव रखा था. जिस पर सिनेट सदस्य डॉ. हरिदास धुर्वे, डॉ. संतोष बनसोड, डॉ. मनीषा कोडापे व डॉ. रवींद्र मुंद्रे ने प्रस्तावित अध्यासन केंद्र की उपयोगिता व आवश्यकता को लेकर अपने विचार रखे थे. सिनेट सदस्यों ने आदिवासी संस्कृति, बोली भाषा, कलागुण रीतिरिवाज व आदिवासी साहित्य को लेकर विस्तृत जानकारी सदन के सामने रखी. जिसके बाद सिनेट सभा के अध्यक्ष प्र-कुलगुरु डॉ. प्रसाद वाडेगावकर, सचिव कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने इस प्रस्ताव को मान्यता हेतु विद्यापीठ की व्यवस्थापन परिषद के समक्ष सिफारिश करने हेतु पारित किया. जिसके चलते उम्मीद जागी है कि, संगाबा अमरावती विद्यापीठ में जल्द ही आदिवासी अध्यासन केंद्र स्थापित होगा