अमरावती

पर्यावरण की रक्षा करने हेतु वार संस्था की अनूठी पहल

वडाली वनपरिक्षेत्र में जमा किया 35 बोरी अजैविक कचरा

अमरावती/दि.24 – पर्यावरण बचाने के उद्देश्य से वाइल्ड लाइफ अवरनेस रिसर्च एंड रेस्क्यू सोसायटी (वार) द्बारा रविवार को एक अनूठी पहल करते हुए वडाली व परिक्षेत्र के छतरी तलाव परिसर से सुबह 6 बजे से 10 बजे तक लगभग आधा दर्जन स्वयंसेवकों ने चार घंटों में 35 बोरी अजैविक कचरा जमा किया और बाहर ले जाकर नष्ट करने के लिए महापालिका के सपूर्द किया.
पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए जंगली जानवरों की सुरक्षा अत्यंत जरुरी है. जंगली जानवरों के लिए अजैविक कचरा घातक बना हुआ है. वनक्षेत्र में घूमने आने वाले लोग प्लास्टिक की पन्नियां, पाउच, पानी की बोतले, शराब की बोतले फेक देते है. प्लास्टिक की बोतले व प्लास्टिक नष्ट नहीं होता. परिणामस्वरुप जंगली जानवरों द्बारा यह कचरा खा लेने की वहज से उनकी मौत हो जाती है साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान होता है. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए वार संस्था द्बारा यह अनूठा उपक्रम चलाया गया था.

राज्य के वनक्षेत्रों में भी चलाया जाए अभियान

रविवार को छतरी तालब वनपरिक्षेत्र परिसर में वार संस्था वनविभाग, मनपा की सहायता से तथा विश्वरुप आयुर्वेदिक पंचकर्म की टीम के माध्यम से साफ सफाई की गई. चार घंटों मे इस अभियान के दौरान 35 बोरी प्लास्टिक कचरा, शराब की बोतले इकट्ठा की गई. तकरीबन दो से तीन घंटी कटला भरकर यह कचरा नष्ट करने हेतु मनपा के सुपूर्द किया गया. इस अभियान में वन विभाग के वडाली सर्कल अधिकारी श्याम देशमुख, ही.बी. चोले, पी.एस. खाडे, जी.के. मसे, वन मजदूर ओंकार भूरे, राजू पिंजरकर, राजू कठाले, मोहन चौधरी, राहुल शनवारे, आकाश वानखेडे, संघर्ष तायडे, विश्वरुप आयुर्वेदिक पंचकर्म व योग चिकित्सालय की डॉ. मधुरा अंजनकर, रितिका चौधरी, हेमल शाह, मानसी नाकोड, सौरभ ढोले, श्यामल वहाड, रोशन सिराम, किरणा ढोक, मंजूरी हरणे, प्रांजली खासबे, डॉ. निकिता, डॉ. स्वाति, वार संस्था के निलेश कंचनपुरे, प्रशांत भुरे, निशांत निंभोरकर, ओमप्रकाश शर्मा, प्रा. अशोक श्रीवास, लवलीसिंग मूर्तिजा, चेतन मालोकार, प्रतीक ढगे, सौरभ वानखडे, रविंद्र धर्माले, रोशन भुरे, रुद्र श्रीवास, मयूर शर्मा, प्रणव गोरुले, देवांशु नवलानी ने सहभाग लिया. इस अवसर पर वनपरिक्षेत्र अधिकारी कैलाश भूंबर ने भेंट देकर इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि, संपूर्ण राज्य के वनक्षेत्रों मेंं भी इस तरह का अभियान चलाया जाना चाहिए.

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