12 को मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में बुद्ध पूर्णिमा पर होगा अनूठा निसर्ग अनुभव
आज शाम जारी होगी वन्यप्रेमियों की पहली सूची, गुगल फॉर्म पर किया गया ऑनलाइन पंजीयन शुरु

अमरावती/दि.30 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में आगामी 12 मई को शुभ्र धवल चंद्रप्रकाश में मचान पर बैठकर निसर्ग अनुभव का अनूठा आनंद लिया जा सकेगा. जिसके लिए विगत 24 अप्रैल से गुगल फॉर्म पर ऑनलाइन पंजीयन की शुरुआत हुई और 26 अप्रैल को शाम 5 बजे तक आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया जारी रही. जिसके बाद इस निसर्ग अनुभव में शामिल होनेवाले वन्यजीव प्रेमियों की पहली सूची आज 30 अप्रैल की शाम जारी की जाएगी. इस निसर्ग अनुभव में 18 से 60 वर्ष की आयु वाले वन्यजीव प्रेमियों को शामिल किया जाएगा तथा मचान वितरण करते समय पहले आनेवाले को पहली प्राथमिकता देने की नीति पर अवलंब किया जाएगा.
* हर मचान पर रहेंगे एक वन्यप्रेमी व एक वन कर्मचारी
इस उपक्रम के तहत एक मचान पर एक व्यक्ति और एक वन कर्मचारी को ही सहभागी किया जाएगा. सहभागियों का चयन और मचान वितरण को लेकर मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प प्रशासन द्वारा सहभागियों के पसंदक्रम का ध्यान रखते हुए किया जाएगा. इस संदर्भ में मेलघाट व्याघ प्रकल्प प्रशासन द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम तथा सभी सहभागियों पर बंधनकारक रहेगा.
* व्याघ प्रकल्प द्वारा भोजन, नाश्ते व पानी की व्यवस्था
– प्लास्टिक की वस्तुएं साथ लाने पर रहेगा कडा प्रतिबंध
बुद्ध पूर्णिमा पर निसर्ग अनुभव में सहभागी होनेवाले वन्यजीव प्रेमियों को 12 मई की शाम पैक किया गया भोजन तथा 13 मई को सुबह नाश्ते व पानी की बोतल कैन सहित दी जाएगी. इसके साथ ही पर्यटकों को अपने घर से भोजन के पैकेट व पानी की बोतल लाने की अनुमति रहेगी. परंतु जंगल क्षेत्र में प्लास्टिक की थैलीयां, प्लास्टिक की बोतल व भोजन के कंटेनर लेकर जाने की सख्त मनाई रहेगी. आरक्षित व संरक्षित क्षेत्रों में लागू रहनेवाले सभी नियमों का इस उपक्रम में शामिल पर्यटकों को पालन करना होगा. साथ ही कैमरे का प्रयोग करने पर भी मनाई रहेगी.
* बाघ व तेंदूए सहित वनस्पतीयों की 709 व पक्षियों 350 प्रजातियां
उष्ण कटिबंधिय सूखे, पानझडी जंगल में सागौन वृक्षों की बहुतायर है. जहां पर वनस्पतियों की 709 प्रजातियां पाई जाती है. मेलघाट के जंगलों में फुलों 400 तथा घास की 120 प्रजातियां है. जिसमें से करीब 50 प्रजातियां शाकाहारी प्राणियों का आहार होती है.
– मेलघाट व्याघ्र प्रकल्पों में बाघों के अतिरिक्त तेंदूए, सांबर, बंदर, नीलगाय, जंगल सूअर, जंगली भैंसे, मोर, चितल, भालू सहित करीब 350 पशु प्रजातियां है. साथ ही इस जंगल क्षेत्र में 100 वर्ष की कालावधि पश्चात जंगली उल्लू भी दिखाई दिया है.
* सन 1974 में हुई थी स्थापना
बता दें कि, मेलघाट के जंगल क्षेत्र को सन 1974 में अति संरक्षित जंगल एवं व्याघ्र प्रकल्प घोषित किया गया था. आज इस अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 2757.97 चौरस किमी है.
* प्रति व्यक्ति तीन हजार रुपए का लिया गया शुल्क
जानकारी के मुताबिक इस वर्ष मेलघाट में निसर्ग अनुभव के लिए प्रति व्यक्ति तीन हजार रुपए का शुल्क निश्चित किया गया है. साथ ही निसर्ग अनुभव उपक्रम के लिए मेलघाट में 150 स्थानों पर मचान लगाई जाएगी. जिन पर 150 वन्यजीव प्रेमियों के साथ ही वन विभाग के 150 कर्मचारी 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा वाली रात में उपस्थित रहेंगे और शुद्ध धवल चंद्रप्रकाश में जंगल का निरीक्षण करते हुए वन्यजीवों की गतिविधियों को देखेंगे.