अन्यायग्रस्त महिला का मनपा में खुदकुशी का प्रयास
अनुकंपा पर नौकरी और पैतृक घर में हिस्सा देने की मांग

* पुलिस की सतर्कता से अनहोनी टली, महिला को जहर के बोतल के साथ लिया कब्जे में
अमरावती /दि.13– मनपा का दैनिक कामकाज चल रहा था तभी सुबह 11 बजे अचानक एक महिला के अपने साथ जहर की बोतल लेकर पहुंचने के कारण खलबली मच गई. हालांकि मनपा के सुरक्षा रक्षकों द्वारा इसकी सूचना देते ही पुलिस तत्काल मनपा पहुंची और उस महिला को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उसके पास से जहर की बोतल बरामद की है. इसके चलते महिला का आत्महत्या करने का प्रयास भी असफल हो गया.
उल्लेखनीय है कि इस महिला ने स्वयं के साथ किस प्रकार अन्याय हुआ इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल कर बुधवार,12 मार्च की सुबह मनपा कार्यालय में आत्महत्या करने की चेतावनी दी थी. बेनोडा की शांताबाई उकरडा आठोर (आठवले) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उकरडा आठवले बडनेरा अतिक्रमण विभाग में कार्यरत थे. वर्ष 1997 में उनका देहांत होने के चलते मनपा को लड़की विजया आठोर को अनुकंपा तत्व पर नौकरी देनी चाहिए थी और मुझे पेंशन देनी चाहिए. चूंकि पिता के शासकीय दस्तावेज में आठोर व आठवले दोनों सरनेम होने का फायदा किसी और ने ही उठा लिया. उकरडा आठोर के देहांत के बाद पत्नी होने का सबूत नहीं होने के बावजूद उसे पैतृक हक दिया गया. दिलचस्प बात यह है कि उकरडा आठोर की पहली पत्नी होने का सबूत पेश किए जाने के बाद न्यायालय ने उसकी पेंशन मंजूर कर ली. इसके बाद हमने अनुकंपा तत्व पर नौकरी के लिए प्रशासन को पत्र दिया. परंतु शांताबाई का सहमति पत्र नहीं होने के कारण तत्कालीन एक नगरसेवक ने शांता की उकरडा आठोर की दूसरी पत्नी कुंताबाई के लड़के को वर्ष 2012 में नौकरी दे दी और संपत्ति पर से मां का नाम गायब कर संपत्ति अठोर (आठवले) के नाम पर संपत्ति हस्तांतरित कर दी गई. उल्लेखनीय बात यह है कि वह संपत्ति मेरे पिता की संपत्ति नहीं थी बल्कि शांताबाई के भाई ने यह घर उन्हें दिया था इसके चलते संपत्ति पर उसका अधिकार नहीं था. इस संदर्भ सबूत पेश किए जाने के बाद असेसमेंट में यह घर शांताबाई के नाम पर किया गया. इसके बावजूद हमारे घर पर हमारा हक नहीं है. इस प्रकरण में बड़ा आर्थिक व्यवहार किया गया है और कानूनी रूप से उकरडा आठोर की लड़की होने के बावजूद अनुकंपा तत्व पर नौकरी नहीं मिल सकती. विजया आठोर ने कहा कि इसके चलते आत्महत्या करने के अलावा मेरे समक्ष और कोई विकल्प नहीं है. विजया आठोरे ने आरोप लगाया है कि इस बीच मनपा आयुक्त के सामने हुई सुनवाई के दौरान कुंताबाई ने शांताबाई का नाम बताकर कर्ज हासिल करने और इसी प्रकार घरकुल का लाभ हासिल करने की बात कबूल की थी. इस सुनवाई का वीडियो क्लिप मांगने के बावजूद प्रशासन देने में टालमटोल कर रहा है. विजया ने सवाल उटाया है कि सहमती पत्र नहीं होने के बावजूद दूसरे को नौकरी किस प्रकार दी गई? वर्ष 2016 के शासकीय निर्णय के अनुसार जिसे अनुकंपा तत्व पर नौकरी दी गई उसके खिलाफ अगर शिकायत प्राप्त होती है तो उसे नौकरी से हटाने के निर्देश हैं. इस निर्देश पर मनपा प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है. मांगने से न्याय नहीं मिलता, लड़कर भी न्याय नहीं मिला इसलिए आत्महत्या करने की चेतावनी प्रशासन को दी थी. पुलिस प्रशासन ने संबंधित महिला को समझाया और प्रशासन से उसे सुनवाई की वीडियो क्लिप दिलवाई. इसके बाद विजया आठोर ने अपना आंदोलन वापस लिया. दूसरी तरफ पीएम आवास योजना अंतर्गत भी संबंधित महिला द्वारा फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने के चलते उसे नोटिस दिए जाने की जानकारी मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मनपा के निर्णय को योग्य ठहराया. वहीं सागर आठोर ने कहा कि मेरी बहन ने आरोप लगाया है कि अनुकंपा नौकरी दूसरे को दी गई. परंतु मेरे पिता शांताबाई को गुजारा भत्ता दे रहे थे, मेरे पिता के निधन के बाद मैने मनपा को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए अवेदन दिया और मुझे नौकरी मिली. परंतु इस प्रकरण में मेरी बहन विजया आठोर ने हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. लेकिन वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बहन की याचिका रद्द करते हुए मनपा द्वारा मुझे अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के निर्णय को सही बताया था.