डफरीन में बच्चे के पैदा होते ही मिलता है आधार कार्ड
612 नवजात शिशुओं को आधार के साथ मिला जन्म प्रमाणपत्र
अमरावती/दि.3 – स्थानीय जिला स्त्री अस्पताल यानि डफरीन में अब बच्चे के पैदा होते ही उसका आधार कार्ड बनाकर देने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. यह उपक्रम 1 जनवरी 2023 से शुरु किया गया है. जिसके तहत अब तक 612 नवजात शिशुओं का आधार कार्ड बनाकर उसे उनके जन्म प्रमाणपत्र के साथ जोडा गया है. इस आशय की जानकारी अस्पताल प्रशासन द्बारा दी गई है.
उल्लेखनीय है कि, इससे पहले सरकार ने 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के आधार कार्ड रहने चाहिए, ऐसा निर्णय लिया था. जिसे बाल आधार कार्ड का नाम दिया गया. इस आधार कार्ड का उपयोग शाला में प्रवेश प्राप्त करने से लेकर बैंक खाते खोलने जैसे कामों में किया जाता है. नीले रंग के इस बाल आधार कार्ड की तरह ही अब नवजात शिशुओं के भी आधार कार्ड जारी करने का निर्णय आधार कार्ड बनाने वाली युआईडीएआई नामक एजेंसी द्बारा वर्ष 2021 में लिया गया था और अब इस निर्णय पर अमल करना शुरु कर दिया गया है. जिसके चलते जिला स्त्री अस्पताल में 1 जनवरी 2023 से नवजात शिशुओं के आधार कार्ड जारी करने का काम शुरु किया गया है.
* आधार कार्ड पर अभिभावकों के फिंगर प्रिंट बढती आयु के अनुसार बायोमैट्रीक में बदलाव होते है. जिसके चलते 0 से 5 वर्ष तक की आयु वाले का बायोमैट्रीक नहीं किया जाता. ऐसे में नवजात शिशु का केवल फोटो निकालकर उसके माता या पिता में से किसी एक का आधार कार्ड जोडा जाता है और किसी एक अभिभावक के फिंगर प्रिंट इस आधार कार्ड पर लिए जाते है. वहीं बच्चे की आयु 5 वर्ष पूरी हो जाने के बाद उस आधार कार्ड पर उस बच्चे के ही बायोमैट्रीक लिए जाएंगे. ऐसी व्यवस्था की गई है. ताकि उस आधार कार्ड को अपडेट किया जा सके.
* डाक विभाग द्बारा दिया जाता है शिशु आधार कार्ड
डाक विभाग द्बारा नवजात शिशुओं का आधार कार्ड निकाला जाता है. जिसके लिए डाक विभाग के दो कर्मचारी रोजाना डफरीन अस्पताल जाते है और वहां जन्मे शिशुओं के आधार कार्ड बनाने का काम करते है.
* नॉर्मल प्रसूति में कुछ ही घंटों के भीतर आधार
जिन महिलाओं की प्रसूति नॉर्मल यानि सामान्य तरीके से हुई है और उनके बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ व सुदृढ है, उनका कुछ ही घंटों के भीतर फोटो लेकर आधार कार्ड बना दिया जाता है. वहीं सिजेरियन के जरिए पैदा होने वाले बच्चे का आधार कार्ड बनाने में तीन से चार दिन का समय लगता है. क्योंकि सिजेरियन के जरिए होने वाली प्रसूति में नवप्रसूता महिला का स्वास्थ्य अपेक्षाकृत तौर पर कमजोर रहता है. ऐसे मेें जच्चा-बच्चा को आराम करने की सक्त जरुरत रहती है.
अब अस्पताल में बच्चे का जन्म होते ही उसका आधार कार्ड बनाने की शुरुआत हो गई है. 2 माह के भीतर ही डफरीन में 612 नवजात शिशुओं का आधार कार्ड निकाला गया है. जिसे उनके जन्म प्रमाणपत्र से लिंक कर उनके अभिभावकों को दिया गया है.
– डॉ. अरुण सालुंके,
निवासी वैद्यकीय अधीक्षक,
डफरीन अस्पताल.