नौकरीपेशा दंपत्तियों के लिए पालनाघर साबित हो रहे आधार
![](https://mandalnews.com/wp-content/uploads/2025/02/Untitled-2-copy-81.jpg?x10455)
अमरावती/दि.12– इन दिनों संयुक्त परिवार की बजाए एकल परिवार पद्धति का चलन काफी अधिक बढ गया है. साथ ही जीवन की जरुरतें बढ जाने के चलते पति-पत्नी के नौकरीपेशा रहने का प्रमाण भी काफी अधिक हो गया है. उसकी वजह से नौकरीपेशा दंपत्तियों द्वारा अपने बच्चों को पालना घर में रखते हुए काम पर जाना पडता है. अब तक यह प्रमाण बडे शहरों में ही दिखाई दिया करता था. परंतु अब धीरे-धीरे छोटे शहरों में भी यह दृष्य आम हो चला है. साथ ही आनेवाले दिनों में इसका प्रमाण और भी बढ सकता है.
बता दे कि, जिले में 5 से 6 इमारतों में ‘डे-केअर सेंटर’ के रुप में पालनाघर चल रहे है. सुरक्षा की गारंटी देनेवाले पालनाघरों में भी अपने कलेजे के टुकडे यानी बच्चे को रखना योग्य रहता है. ताकि, नौकरीपेशा दंपतियों द्वारा निश्चिंत होकर अपने काम किए जा सके. ऐसे पालनाघरों द्वारा प्रति माह तीन से चार हजार रुपए का शुल्क लिया जाता है तथा पूरा दिन बच्चों की देखभाल करने के साथ ही उन्हें दूध व अन्य पोषक आहार दिए जाते है. नौकरीपेशा रहनेवाले अभिभावक अपने छोटे बच्चों को ऐसे पालनाघरों में रखकर काम पर जाते है तथा शाम को काम से लौटते समय बच्चों को पालनाघर से लेकर वापिस आते है. कई नौकरीपेशा दंपतियों द्वारा बच्चों की सुरक्षा की गारंटी को लेकर पडताल करने के बाद ही अपने बच्चों के लिए ‘डे-केअर सेंटर’ के तौर पर पालनाघर का चयन किया जाता है.
* शहरी जिंदगी में बदल दी परिवार पद्धति
पहले संयुक्त परिवारों में घर पर बच्चों की देखभाल हेतु दादा-दादी सहित अन्य सदस्य हुआ करते थे. परंतु अब हर कोई नौकरी की खोज में शहर की ओर आ रहा है. इसमें भी शहर में अपना घर परिवार चलाने हेतु पति व पत्नी द्वारा नौकरी की जाती है. जिसके चलते नौकरीपेशा रहनेवाले दंपतियों के पास अपने छोटे बच्चों को संभालने हेतु पालना घर का सहारा लेना ही एकमात्र पर्याय बचता है.
* कहां होता है पालना घर का पंजीयन
कोई भी नया पालनाघर शुरु करने हेतु पंजीयन कहां किया जाए, इस बारे में महानगर पालिका तथा महिला व बालविकास विभाग से पूछताछ किए जाने पर पता चला कि, इन दोनों विभागों में ऐसी किसी सेवा का पंजीयन ही नहीं होता.
* ‘डे-केअर’ के लिए नियम व शर्त
डे-केअर यानी पालनाघर परिसर साथसुथरा रहे. पालनाघर में सभी सुविधायुक्त प्रथमोपचार पेटी हो, बच्चों को पोषक आहार देने के साथ ही बालरोग विशेषज्ञों के जरिए बच्चों की स्वास्थ जांच पालना घर में ही करने की व्यवस्था हो.
* कर्मचारियों की पडताल जरुरी
पालनाघर में काम करनेवाले कर्मचारियों के चरित्र की पडताल व वैद्यकीय जांच करने के बाद ही उन्हें काम पर रखा जाना चाहिए. साथ ही पालनाघर में कम से कम पांच बच्चों के लिए एक केयरटेकर का होना जरुरी है.