अमरावतीमहाराष्ट्र

प्रिस्क्रिप्शन के बिना भी धडल्ले से बिकती है गर्भपात की गोलियां

दोगुना दामों पर होती है विक्री, अन्न व औषधी प्रशासन का ध्यान ही नहीं

अमरावती /दि.8– डॉक्टरों द्वारा लिखी गई पर्ची के बिना मेडिकल स्टोअर से किसी भी तरह की दवाओं व गोलियों की विक्री न की जाए, ऐसा स्पष्ट नियम है. लेेकिन इसके बावजूद भी इस नियम की अनदेखी करते हुए कई स्थानों पर डॉक्टर की पर्ची के बिना ही ग्राहक द्वारा मांगी गई दवाएं मेडिकल स्टोअर द्वारा बेची जाती है. सबसे गंभीर बात यह है कि, कई बार नींद की गोलियां व गर्भपात की गोलियां जैसी दवाईयां भी डॉक्टर की पर्ची के बिना ही मनमाने ढंग से ग्राहक द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध करा दी जाती है. इसमें भी विशेष उल्लेखनीय यह है कि, कुछ स्थानों पर गर्भपात की गोलियों के लिए दोगुने अथवा मनमाने दाम भी वसूले जाते है. इसकी ओर अन्न व औषधी प्रशासन विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.

उल्लेखनीय है कि, इन दिनों आपसी रिलेशनशीप में रहने वाले कई युवक व युवतियों द्वारा विवाह से पहले ही सभी तरह की सामाजिक मर्यादाओं को पार कर लिया जाता है. ऐसे समय सुरक्षित साधनों का प्रयोग नहीं किये जाने के चलते गर्भधारणा भी हो जाती है. ऐसे में युवतियों के मन में गर्भधारणा को लेकर भय पैदा हो जाता है और वे अपने ही मन से गर्भपात करने की गोलियां लेने का निर्णय लेती है. जिसके लिए मेडिकल स्टोअर पहुंचकर गर्भपात वाली गोलियां खरीदी जाती है. परंतु नियमानुसार डॉक्टर की सलाह के बिना गर्भपात की गोलियां मेडिकल स्टोअर द्वारा नहीं दी जानी चाहिए. परंतु शहर के कुछ हिस्सों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में यह गोलियां डॉक्टर की चिठ्ठी के बिना भी सहज उपलब्ध हो जाती है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर इस मामले में अन्न व औषधी प्रशासन विभाग क्या कर रहा है.

* केवल नाम के लिए लगा हुआ है सूचना फलक
शहर सहित जिले के कई मेडिकल स्टोअर में डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवा नहीं मिलने का सूचना फलक लगाया गया है. परंतु कई मेडिकल स्टोअर संचालकों द्वारा ही इस नियम का पालन नहीं किया जाता. कई बार दवा खरीदने पहुंच व्यक्ति द्वारा डॉक्टर की चिठ्ठी दिखाने की बजाय अपने मूंह से ही दवाई का नाम बताया जाता है और मेडिकल स्टोअर संचालक द्वारा खानापूर्ति के लिए पेशंट और डॉक्टर का नाम पूछ लिया जाता है. कई स्थानों पर सिरदर्द, कमरदर्द, दांत दर्द व सर्दी खांसी की गोलियों के लिए तो डॉक्टर की चिठ्ठी दिखाने की जरुरत ही नहीं पडती तथा लोगबाग मनमाने ढंग से अलग-अलग कंपनियों के कफसिरप भी खरीद लेते है. जबकि कुछ कफसिरप का लोगों द्वारा नशे के लिए प्रयोग किये जाने की बात कई बार सामने आ चुकी है.

* एक साल दौरान 58 मेडिकल स्टोअर पर हुई कार्रवाई
जिले में 1800 से अधिक मेडिकल स्टोअर है. जिनकी अलग-अलग कारणों के लिए अन्न व औषधी प्रशासन द्वारा नियमित तौर पर जांच पडताल की जाती है. विगत एक वर्ष के दौरान विविध कारणों के चलते 58 मेडिकल स्टोअर पर कार्रवाई किये जाने की जानकारी एफडीए द्वारा दी गई है.

Related Articles

Back to top button