* निजी अस्पताल में कैसे पहुंची सरकारी कोटे की दवाईया
आर्वी/दि.15– अवैध गर्भपात मामले में गिरफ्तार डॉ. रेखा कदम व उनके साथियों द्वारा किये गये पाप में स्वास्थ्य महकमे के भी कुछ लोगों का सहभाग रहने की जानकारी सामने आयी है और अब जांच एजेेंसी द्वारा इस दिशा में भी अपने कदम आगे बढाये जा रहे है. जिसके चलते बहुत जल्द आरोपियों की संख्या में और भी अधिक वृध्दि हो सकती है. यह संकेत मिलते ही अब संबंधितों में जबर्दस्त हडकंप का माहौल है.
समूचे राज्य में खलबली मचा देनेवाला वर्धा जिले के आर्वी तहसील में उजागर अवैध गर्भपात का मामला केवल वर्धा जिले तक ही सीमित नहीं है. बल्कि मानवता को कलंकित कर देनेवाले इस मामले में पाप के हिस्सेदार दूसरे जिलों में भी रहने के संकेत दिखाई दे रहे है. ऐसे में अब जांच एजेंसियों ने अपनी जांच के दायरे को बढाते हुए कई लोगों को अपने निशाने पर लिया है. ज्ञात रहे कि, वैद्यकीय क्षेत्र में बडे पैमाने पर कट प्रैक्टिस चलती है और विशिष्ट प्रकार के मरीजों को संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर के यहां भेजने का चलन इन दिनों काफी अधिक बढ गया है. जिसके तहत अलग-अलग क्षेत्र के डॉक्टरों द्वारा अपने संपर्क में रहनेवाले डॉक्टरों के यहां अपने पास इलाज हेतु आनेवाले मरीजों को भेजा जाता है.
बता दें कि, डॉ. रेखा कदम के परिवार में उनके पति तथा सास-ससुर भी डॉक्टर है और वे विगत 40 वर्षों से वैद्यकीय व्यवसाय के क्षेत्र में है. जिसके चलते उनका अलग-अलग क्षेत्र के डॉक्टरों से अच्छा-खासा परिचय रहने के साथ ही व्यवसायिक संबंध भी है. यहीं वजह है कि, डॉ. कदम के अस्पताल में गर्भपात करवानेवालों की हमेशा ही अच्छी-खासी भीडभाड रहा करती थी और विभिन्न क्षेत्रों के डॉक्टर अपने पास गर्भपात हेतु आनेवाले मरीजों को इसके लिए डॉ. रेखा कदम के अस्पताल में भिजवाया करते थे. जहां पर डॉ. रेखा कदम द्वारा तमाम नैतिकता व सिध्दांतों को परे रखते हुए केवल पैसों के लिए धडल्ले के साथ वैध-अवैध तरीके से गर्भपात किये जाते थे.
इसी के तहत डॉ. रेखा कदम ने दुराचार के चलते गर्भवती हुई महज 13 वर्ष वाली अल्पवयीन बच्ची का गर्भपात किया. जिसके तहत उसकी कमजोर शारीरिक स्थिति की भी अनदेखी की गई, जबकि डॉ. कदम को साफ तौर पर पता था कि, ऐसा करने के दौरान उस बच्ची की जान भी जा सकती है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, किसी भी अल्पवयीन लडकी का गर्भपात करने हेतु अदालत से कानूनी अनुमति लेनी होती है. साथ ही पुलिस एवं जिला स्वास्थ्य प्रशासन के वरिष्ठाधिकारियों को इसकी जानकारी भी देनी होती है. किंतु महज 13 वर्ष की आयुवाली अल्पवयीन लडकी का गर्भपात करते समय डॉ. रेखा कदम ने इन सभी बातों की खुले तौर पर अनदेखी की. वहीं अब यह मामला सामने आने और डॉ. कदम के अस्पताल के पीछे करीब एक दर्जन इंसानी खोपडियां व 54 से अधिक हड्डिया बरामद होने के चलते पूरे मामले को लेकर संदेह गहरा गया है. साथ ही जांच के दौरान डॉ. रेखा कदम के निजी अस्पताल से कुछ ऐसी दवाईया भी बरामद हुई है, जो स्वास्थ्य महकमे द्वारा सरकारी अस्पतालों में प्रयोग हेतु भिजवायी जाती है. ऐसे में अब यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि, आखिर सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केेंद्रोें में प्रयुक्त होनेवाली दवाईया डॉ. रेखा कदम के निजी दवाखाने में कैसे पहुंची. इसके साथ ही किसी भी अधिकृत गर्भपात सेंटर में प्रतिमाह कितने गर्भपात होते है और उनकी जानकारी सही ढंग से दर्ज की जाती है अथवा नहीं, इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की होती है. किंतु अब पता चल रहा है कि, स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया जा रहा था. जिससे साफ है कि, डॉ. रेखा कदम के इस पापकृत्य में सरकारी स्वास्थ्य महकमे के भी कुछ अधिकारियों का सहभाग रहा होगा. जिसकी वजह से यह पूरा काम बडे ही चोरी-छिपे ढंग से चल रहा था. किंतु एक 13 वर्षीय अल्पवयीन बच्ची का गर्भपात कराये जाने की वजह से यह पूरा मामला उजागर हो गया और अब पुलिस द्वारा मामले की जांच करते हुए इसके तार कहां-कहां तक जुडे है, इसकी जांच की जा रही है.