यवतमाल/दि. १८- साल २००५ में सूचना के अधिकार के लागू होने के बाद से, महाराष्ट्र के ९१ लाख से अधिक नागरिकों ने आरटीआई आवेदन दायर किए हैं. लेकिन खुद राज्य सूचना आयोग को ही रिक्त पदों का ग्रहण लगने से आवेदन ठंडे बस्ते में पडे है. राज्य को जहां आठ सूचना आयुक्तों की जरूरत है, वहीं पूरा राज्य सिर्फ तीन आयुक्तों के भरोसे चल रहा है. जिसके कारण एक वर्ष के भीतर ५४ हजार ९३१ द्वितीय अपीलें धूल फांक रही है. महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा नाशिक, बृहन्मुंबई, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, नागपुर, जैसे सात स्थानों पर राज्य सूचना आयुक्तों के पद है. मुख्य आयुक्त का पद हाल ही में खाली हुआ है तथा सात में से तीन ही राज्य आयुक्त कार्यरत है. नागपुर के राज्य सूचना आयुक्त राहुल पांडे के पास अमरावती और संभाजीनगर का अतिरिक्त प्रभार है. तथा पुणे के समीर सहाय के पास नाशिक और बृहन्मुंबई के आयुक्त सुनील पोरवाल के पास कोंकण का अतिरिक्त प्रभार है. पद रिक्त रहने से द्वितीय अपीलें और धारा १८ के तहत दर्ज की गई शिकायतें अधिक है. उल्लेखनिय यह है कि, धारा २५ के अनुसार हर साल रिपोर्ट प्रकाशित करना आवश्यक होने पर आयोग ने वर्ष २०२१ और २०२२ इन दो साल की रिपोर्ट भी प्रकाशित नहीं की.
* किस विभाग में अधिक आवेदन
नगरविकास – १,२६,२७४
राजस्व – १,०३, ०५२
गृह विभाग – ६४,७१०
ग्रामविकास -४५५०८
सार्वजनिक लोकनिर्माण – १९,१२३
वन विभाग – १८,४४८
गृहनिर्माण – १७,६०६
विधि व न्याय – १०, ५६०
सहकार, पणन,वस्त्रोद्योग- ८८२४
परिवहन – ८७६७
द्वितीय अपील की स्थिति
विभाग प्राप्त अपील निस्तारण हुए अपील लंबित अपील
मुंबई मुख्यालय ११०६१ ३०३० ८०३१
बृह्नमुंबई ६३५५ ४१५ ३९४०
कोंकण ६२८८ २३६९ ३९१९
पुणे १६७७१ १२९९ १५४७२
संभाजीनगर १३६०१ ६४२९ ७१७२
नाशिक ८७८८ २८४९ ५९३९
नागपुर ४६२४ १८२२ २८०२
अमरावती ११०६१ ३४०५ ७६५६
कुल ७८५४९ २३६१८ ५४९३१
द्वितीय अपील के निस्तारण की कोई समय सीमा नहीं है. पद खाली होने के कारण इसमें एक से डेढ़ साल का समय लग जाता है. इसलिए सूचना के अधिकार का मूल उद्देश्य सफल नहीं होता. लोगों को अधिनियम के बारे में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है, इसलिए शिकायतों और अपीलों की संख्या बढ़ जाती है.
-विशाल ठाकरे,प्रशिक्षक
सूचना अधिकार