अमरावती

गालीगलौज यह आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने का अपराध नहीं ः न्यायालय

आरोपी को जमानत मंजूर

मुंबई./दि.4-गाली गलौज कर किसी व्यक्ति का अपमान करना, यह आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने का अपराध नहीं, ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय ने दिया. न्यायमूर्ति भारती डोगरे ने अर्णब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय ने दिये गए परिणाम का संदर्भ देते हुए आरोपी तेजस परिहार को दिला देते हुए जमानत मंजूर की.
घाटकोपर के तेजस परिहार के खिलाफ घाटकोपर पुलिस ने भाई की प्रेमिक को आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने के मामले में भादवि कलम 306 के तहत अपराध दर्ज किया. इस मामले में जमानत हासिल करने के लिए आरोपी परिहार ने उच्च न्यायालय में पहुंचकर जमानतके लिए आवेदन दर्ज किया था. उस आवेदन पर न्यायमूर्ति भारती डांगरे के समक्ष सुनवाई हुई. इस समय न्यायालय ने भादवि कलम 306 के तहत अपराध दर्ज करते समय मृत व्यक्ति को आत्महत्या के लिए मदद करने का या प्रवृत्त करने का आरोपी का उद्देश्य यह दो घटक महत्वपूर्ण होते हैं. जिसके चलते एखाद व्यक्ति के खिलाफ भादवि कलम 306 के तहत अपराध दर्ज करते समय इन दोनों भी मुद्दों पर पुलिस का समाधान होना महत्वपूर्ण है. जिसके अनुसार गाली गलौज कर एखाद व्यक्ति का अपमान करना, यह आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने का अपराध साबित नहीं होगा. आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने का आरोपी का उद्देश्य साबित होने वाले ठोस सबूत होना आवश्यक है. ऐसा स्पष्ट मत व्यक्त करते समय न्यायालय ने आरोपी को दिलासा देते हुए जमानत मंजूर की.

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