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दो वर्ष में एसीबी के 48 ट्रैप, सजा सिर्फ 2 को

आरोप पत्र दाखिल करने में देरी का फायदा

अमरावती/ दि. 16- रिश्वतखोरी के कई प्रकरण भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग द्बारा पकडे जाते हैं. इसी प्रकार गत दो वर्ष में एसीबी ने 48 ट्रैप सफल किए. न्यायालय में दर्ज मुकदमों में 8 के निर्णय घोषित हुए है. केवल दो मामलों में सजा सुनाई गई है. जानकारो का आरोप है कि एसीबी द्बारा आरोपपत्र दाखिल करने में विलंब का फायदा आरोपी उठा रहे हैं. वहीं एसीबी का कहना है कि प्रयोगशाला की संख्या सीमित होने से उसकी रिपोर्ट के कारण देरी होती हैै.
* विलंब होने के अनेक कारण
एसीबी ट्रैप लगाती है. आरोपी उसमें फंसते हैं. तकनीकी सबूत भी रहते हैं. आरोपियों को रंगे हाथ पकडा जाता है. विलंब होने के बारे में कई कारण इसके पीछे हैं. पंच, शिकायतकर्ता का वृध्द होना, बीमार होना, स्मृतिभ्रंश होना अथवा आरोपी का निधन हो जाना आदि वजह भी रहती है. कई बार पूरी जांच में भी विलंब होता है. फॉरेन्सिक लैब से सबूत प्रमाणित करने पडते हैं. उसमें भी कई बार देरी हो जाती है.
* 26 साल बाद आया फैसला
अमरावती में एक जनसेवक को 1998 में रिश्वत लेते धरा गया था. इसका फैसला पिछले माह अर्थात 2024 में आया. प्रकरण में शिकायतकर्ता और एक पंच की मृत्यु हो गई थी. एक अन्य पंच को सेवा निवृत्त हुए 20 वर्ष हो गये हैं. अब 78 वर्ष के हैं. कोर्ट में गवाही देने उपस्थित रहने पर उन्हें कुछ याद नहीं रहने की स्थिति थी.
* 10 प्रकरणों में आरोप पत्र
एसीबी के एसपी मारोती जगताप ने बताया कि गत 4 माह से सभी प्रकरणों में जांच तेजी से की जा रही हैं. एसीबी महासंचालक ने भी शीघ्रता से आरोपपत्र दाखिल करने कहा है. अमरावती एसीबी द्बारा पिछले वर्ष पकडे गये सभी 10 प्रकरणों में आरोपपत्र पेश कर दिया गया है.

 

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